चाणक्य नीतिः हर इंसान के जीवन में होते हैं ये 4 मित्र, अंतिम समय तक नहीं छोड़ते साथ
चाणक्य ने बताया है कि जिन लोगों के जीवन में ये 4 मित्र होते हैं उनका जीवन सफल हो जाता है
नीति शास्त्र के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने जीवन को सरल तरीके से जीने और सफलता को प्राप्त करने के रास्तों का चाणक्य नीति में उल्लेख किया है। चाणक्य नीति में हमें जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें जानने को मिलती है जिससे हम सारे दुखों को पार कर अपने जीवन को सही दिशा में जी सकते हैं। हमारे जीवन में मित्र होते हैं, लेकिन ये मित्र भी कई प्रकार के होते हैं। चाणक्य ने इंसान के पूरे जीवन काल में चार ऐसे दोस्तों के बारे में बताया है जो मृत्यु तक साथ निभाते हैं और उसके बाद भी। आपको बताते हैं कौन से हैं वो चार मित्र
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मों मित्रं मृतस्य।।
पहला मित्र
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने घर से बाहर रहता है उसके लिए ज्ञान से बड़ा कोई मित्र नहीं होता। इसका अर्थ ये है कि जब हम अपने परिवार के बीच रहते हैं तो किसी भी तरह की परेशानी या उलझन पड़ने पर हमें उनका साथ मिल जाता है, लेकिन जब हम घर से बाहर होते हैं तो हमें किसी भी स्थिति को पार करने के लिए खुद के ज्ञान की आवश्यकता होती है। इंसान के अपनों से दूर रहने पर ये ज्ञान ही है जो अंतिम समय तक उसकी मदद करता है और उसके जीवन को सरल बनाता है।
दूसरा मित्र
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की पत्नी ही उसकी दूसरी सबसे अच्छी मित्र होती है। जिस व्यक्ति की पत्नी अच्छी हो उसे समाज में मान-सम्मान मिलता है। उस व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा होती है। वहीं अगर पत्नी खराब मिल जाए तो जीवन नरक के समान हो जाता है। पत्नी के गलत आचरण के कारण पति को हर जगह अपमान सहना पड़ता है। जब पत्नी सही हो तो पति की सारी बाधाएं दूर हो जाती है। पत्नी वो सच्ची मित्र है जो पति का साथ नहीं छोड़ती। कठिन समय में उससे और करीब हो जाती है और अपने अंतिम सांस तक पति का साथ देती है।
तीसरा मित्र
जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो जीवन में उसके लिए फिर कुछ महत्व नहीं रखता। उस वक्त दवा ही उसकी सच्ची मित्र होती है। जिस तरह का दर्द या तकलीफ हो उसकी दवा इंसान के लिए उस वक्त सच्ची मित्र हो जाती है। जब शरीर में तकलीफ हो तो जीवन में रुपया-पैसा या कोई रिश्ता इतना खास नहीं लगता। उस वक्त इंसान को सिर्फ दवा से ही आराम मिलता है और दवा ही उसकी सच्ची दोस्त हो जाती है।
चौथा और आखिरी मित्र
चाणक्य ने इंसान का आखिरी और महत्वपूर्ण मित्र धर्म को बताया है। चाणक्य ने कहा है कि जो व्यक्ति धर्म का रास्ता अपनाते हुए अपना जीवन व्यतीत करता है उस व्यक्ति को मरने के बाद भी लोग याद रखते हैं। अपना जीवन जीते हुए अगर आप धर्म के रास्ते पर चलेंगे तो मरने के उपरांत भी लोग आपको सम्मान के साथ याद करेंगे। जो व्यक्ति अधर्म के रास्ते पर चलता है और दूसरों के जीवन में कष्ट लाता है उस व्यक्ति को संसार एक बुरे मनुष्य के रुप में याद रखता है। ऐसे में धर्म को अपना मित्र समझें और इस रास्ते से कभी ना हटें।