श्रीराम भी नहीं सिर्फ लक्ष्मण ही कर सकते थे इंद्रजीत का वध, इन तीन नियमों का किया था पालन
विभीषण ने भी प्रभु श्री राम को बताया था की लक्ष्मण के अलावा कोई और इंद्रजीत का वध नहीं कर सकता
रामायण की कहानी में हमें भाइयों का जबरदस्त प्रेम देखने को मिला है। राम और लक्ष्मण दोनों भाई एक दूसरे से कितना प्रेम करते थे ये सभी जानते हैं। श्री राम जहां शांत स्वभाव के थे तो वहीं लक्ष्मण के अंदर उग्रता साफ दिखती थी। दोनों ही भाईयों का स्वभाव जितना भी विपरीत रहा हो दोनों में प्रेम एक समान था। हालांकि एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान राम के मन में अपने छोटे भाई लक्ष्मण को लेकर शंका उठी थी। उस शंका की वजह थी ऋषि अगस्त्य का कथन, जिन्होंने कहा था कि रावण के पुत्र इंद्रजीत को सिर्फ लक्ष्मण ही मार सकते थे। श्री राम के मन में ये शंका क्यों आई थी औऱ ऋषि अगस्त्य ने लक्ष्मण के विषय में ये बात क्यों कही थी इसकी कहानी आपको बताते हैं।
इन तीन नियमों का लक्ष्मण जी ने किया था पालन
एक बार ऋषि अगस्त मुनि अयोध्या आए तो लंका युद्ध की बात होने लगी। श्रीराम ने बताया कि उन्होंने रावण और कुंभकर्ण जैसे वीरों का वध किय़ा, लेकिन लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे विशाल और शक्तिशाली असुरों को मार गिराया था। इस बात को सुनकर ऋषि अगस्त्य बोले- इस बात में कोई संदेह नहीं है कि रावण औऱ कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन उनसे भी ज्यादा वीर इंद्रजीत था। उसने अंतरिक्ष में इंद्र देव से युद्ध किया था और उन्हें बांधकर लंका ले गया था। ब्रह्मा जी ने जब इंद्रजीत से दान में इंद्र को मांगा तब उन्हें मुक्ति मिली। इसके बाद लक्ष्मण ही थे जो इंद्रजीत को परास्त कर सकते थे।
अपने प्रिय भाई लक्ष्मण की वीरता की प्रशंसा सुनकर श्रीराम बहुत खुश हुए, लेकिन उन्हें हैरानी भी हुई की कैसे सिर्फ लक्ष्मण ही इंद्रजीत को मार सकते थे। उन्होंने जिज्ञासा वश ऋषि मुनि से पूछा की ऐसा क्या कारण था जो सिर्फ लक्ष्मण ही इंद्रजीत को मोक सकते थे। तब ऋषि ने कहा कि इंद्रजीत को वरदान प्राप्त था की उसका वध सिर्फ वही कर सकता है जो 14 वर्षों तक सोया ना हो, जिसने 14 वर्ष तक किसी स्त्री का मुख ना देखा हो और जिसने 14 वर्षों तक भोजन ना किया हो।
लक्ष्मण ने बताई सारी कहानी
प्रभु श्रीराम सबकुछ पहले से ही जानते थे फिर भी भक्तों तक इस कहानी को पहुंचाने के लिए उन्होंने ऋषि मुनि से अपनी बात कही। ऋषि अगस्त्या से प्रभु श्रीराम ने कहा कि मैं वनवास के समय 14 वर्षों तक लक्ष्मण को उसके हिस्से का फल-फूल देता रहा। मैं सीता के साथ एक कुटिया में रहता था और बगल की कुटिया में लक्ष्मण रहता था फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि उसने कभी अपनी भाभी का मुख ना देखा हो और 14 वर्षों तक वो सोया ना हो। ऐसा कैसे हो सकता है? प्रभु की लीला समझकर ऋषि अगस्त्या ने कहा क्यों ना लक्ष्मण से ही इस प्रश्न का उत्तर मांग लिया जाए।
लक्ष्मण जी जब दरबार में आए तो श्रीराम ने उनसे तीनों सवाल कर दिए। उन्होंने कहा- अनुज,14 वर्षों तक तुम मेरे साथ रहे तो फिर तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा? तुम्हें मैंने फल भी दिया लेकिन तुम फिर भी भूखे रहे? 14 वर्षों तक सोए नहीं? ऐसा कैसे हुआ। प्रभु की बात सुनकर लक्ष्मण ने कहा- भैया जब हम भाभी की खोज में ऋष्यमूक पर्वत पर गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा था। आपको स्मरण होगा भैया मैं उनके पैरों के आभूषण के अलावा और कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने भाभी के सिर्फ पांव ही देखे थे।
14 वर्षों तक किया था तप
आगे लक्ष्मण ने कहा कि जब आप भाभी माता के साथ कुटिया में सोते थे तो मैं रातभर धनुष पर बाण चढ़ाकर पहरेदारी करता था। निद्रा देवी ने मेरी आंखों पर पहरा करने की कोशिश भी की थी, लेकिन अपने बाणों से उन्हें भेद दिया था। इसके बाद उन्होंने मुझसे कहा था कि 14 वर्षों तक मुझे स्पर्श भी नहीं करेंगी, लेकिन जब आपका राज्यभिषेक होगा तो मैं आपके पीछे सेवक की तरह छत्र लिए खड़ा रहूंगा तब वो मुझे घेरेंगी। आपको स्मरण होगा भैया राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र इसी कारण से छूटा था।
भूखे रहने के प्रश्न पर लक्ष्मण ने कहा, भैया मैं जो भी फल लाता उसके तीन हिस्से होते थे। आप एक भाग देकर मुझसे कहते थे लक्ष्मण ये अपना फल रख लो। आपने कभी मुझे खाने को नहीं कहा और आपकी आज्ञा के बिना मैं फल नहीं खा सकता था। अभी भी सारे फल उसी कुटिया में होंगे। इसके बाद श्रीराम के आदेश के बाद उस कुटिय़ा से फल लाया गया। उसमें सारे फल मौजूद थे सिर्फ 7 दिनों के फल नहीं थे। अब उनसे सवाल पूछा गया की क्या तुमने सात दिन के फल खा लिए थे।
इस वजह से कर पाए थे इंद्रजीत का वध
इस पर लक्ष्मण जी ने कहा- भैया जिस दिन पिताजी के स्वर्गवासी होने की खबर मिली थी, हमने भोजन नहीं किय़ा। जब रावण भाभी को हरण कर ले गया तो हम निरहारी रहे। जिस दिन आप समुद्र की साधना कर उससे रास्ता मांग रहे थे उस दिन भी हमने भोजन नहीं किया था। जब इंद्रजीत के नागपाश में बंधकर दिन भर अचेत रहे उस दिन और इंद्रजीत ने जब सीता की छवि का सिर काटा था हमने तब भी भोजन नहीं किया था। इसके अलावा जिस दिन रावण ने मुझे शक्ति मारी थी और जिस दिन आपने उस रावण का वध किया था उन 7 दिनों में हमने भोजन नहीं किया था। ये वही 7 फल हैं भैया। तो इस तरह से 14 वर्षों तक तप करने के कारण भगवान लक्ष्मण इंद्रजीत को परास्त कर पाए थे।