देश की सुरक्षा के लिए खतरा है जाकिर नाइक का IRF, दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रतिबंध को ठहराया सही!
आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ मोदी सरकार के फैसलों को अब न्यायालयों से भी हरी झंडी मिलने लगी है. विरोधी पस्त पड़ने लगे हैं क्योंकि मोदी सरकार का हर फैसला देश हित और सुरक्षा के हिसाब से बेहद जरूरी होता है. हाल ही में मोदी सरकार के एक फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने बिल्कुल सही और उचित ठहराया है.
जाकिर नाइक का याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी :
मामला है इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबन्ध लगाने का. इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक की संस्था आईआरएफ पर पिछले साल केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी. रोक के तहत संस्था की वेबसाइट भी बंद कर दी गयी थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार के फैसले को सही ठहराया है. जाकिर नाइक ने अपनी संस्था पर लगाये गए प्रतिबन्ध के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि गृह मंत्रालय ने जो प्रतिबन्ध लगाया है उसके लिए मंत्रालय के पास पर्याप्त सबूत हैं.
हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र का इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला भारत की संप्रभुता और अखंडता की सुरक्षा के लिए लिया गया था. इस मामले में जाकिर नाइक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के 17 नवंबर 2016 को जारी किये गए नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी. इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर गैर कानूनी गतिविधियों के कानून से जुडी धाराओं में मामला दर्ज करते हुए प्रतिबन्ध लगाया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में गृह मंत्रालय से नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, इसपर गृह मंत्रालय ने सभी जरूरी दस्तावेजों को पूरी गोपनीयता के साथ सील बंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष पेश किया था. जिसके अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि प्रतिबन्ध सही है.
केंद्र सरकार ने आईआरएफ पर बैन के पीछे यह कारण बताया है कि यह संगठन युवाओं को आतंकियों के समूह में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी सरकार की दलीलों को सही पाया और प्रतिबन्ध को सही ठहराया. केंद्र ने कहा कि यह फैसला स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लिया गया था.
गौरतलब है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को देशविरोधी और गैर कानूनी गतिविधियां चलाने का दोषी पाया गया था. जिसके बाद गृह मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए संगठन पर भारत में प्रतिबन्ध लगा दिया था.