सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने से देश की 80% तक आवादी आ सकती है कोरोना के चपेट में
विशेषज्ञों ने दावा किया की अधिक आबादी पर एक साथ कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ तो हम इसको संभाल पाने में सक्षम नहीं हो सकते
देशभर में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है, आखिर इस वायरस के खतरे से लोगों को कब राहत मिलेगी इसके बारे में बता पाना काफी कठिन है, दिन पर दिन कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लॉक डाउन का ऐलान किया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्पष्ट रूप से कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत ही जरूरी है, अन्यथा जो व्यक्ति सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेगा वह अपने आपको और अपने परिवार को खतरे में डाल सकता है, लोगों के जीवन की रक्षा और परिवार की रक्षा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ही जरूरी है, हम सभी को कोरोना वायरस को फैलने से रोकना होगा और इस संक्रमण की चैन तोड़नी होगी, इसके अतिरिक्त और कोई भी तरीका नहीं है।
जैसा कि आप लोग जानते ही हैं कोरोना वायरस का संकट देश पर इस तरह फैला हुआ है कि इस संक्रमण की चपेट में रोजाना ही लोग आ रहे हैं, इस वायरस की वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, आखिर आने वाले समय में इस वायरस का संकट टलेगा या नहीं? आगे यह अपनी प्रकृति में बदलाव करेगा या हमारे अंदर इस वायरस को झेलने की शक्ति उत्पन्न हो जाएगी, आखिर आने वाले कल में इस वायरस पर काबू पाया जा सकता है या नहीं? इस तरह के बहुत सवालों पर विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है, इन सभी सवालों के ऊपर विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत एस पांडव और डॉक्टर नरेंद्र अरोड़ा से विशेष बातचीत की गई है, आपको बता दें कि डॉ चंद्रकांत एस. पांडव ने एम्स में 40 वर्ष तक कार्य किया है और डॉक्टर नरेंद्र अरोड़ा जी ने 35 वर्ष तक कार्य किया है, कोरोनावायरस के खतरे को लेकर बहुत से सवाल लोगों के मन में उत्पन्न हो रहे हैं, आज हम इन्ही कुछ सवालों पर प्रकाश डालने वाले हैं और विशेषज्ञों का क्या दावा है इसके बारे में जानेंगे।
आइए जानते हैं सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर विशेषज्ञों का क्या है दवा
1. लोगों के मन में यह सवाल उत्पन्न होता रहता है कि देश में आखिर कोरोना वायरस का खतरा कब तक रहने वाला है और कोरोना वायरस के संक्रमण से कितने लोग प्रभावित हो सकते हैं, इस सवाल पर विशेषज्ञों ने अपनी राय देते हुए यह कहा है कि कोरोना वायरस लंबे समय तक साथ रहेगा, लेकिन अगर हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं तो कोरोना वायरस के संक्रमण से हम लंबी अवधि तक सुरक्षित रह सकते हैं, अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना किया जाए तो भविष्य में देश की लगभग 70% से 80% तक की आबादी कोरोना वायरस के शिकंजे में आने की संभावना है।
2. विशेषज्ञों का ऐसा दावा है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना किया जाए तो देश की 70 से 80% तक की आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकती है, परंतु अब इसके बाद सवाल यह आता है कि क्या बाकी लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो सकती है? इस पर विशेषज्ञ का ऐसा दावा है कि बड़ी आबादी वायरस से प्रभावित होने की वजह से बाकी 20% लोगों में कोरोना से लड़ने की क्षमता यानी कि हर्ड इम्युनिटी उत्पन्न हो जाएगी परंतु यदि अधिक आबादी पर एक साथ कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ तो हम इसको संभाल पाने में सक्षम नहीं हो सकते, सिर्फ इसकी रोकथाम की जा सकती है।
3. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का विकल्प माना जाता है, परंतु इतने बड़े देश में सोशल डिस्टेंसिंग को रखना कब तक संभव हो सकता है? यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उत्पन्न होता है, परंतु विशेषज्ञों का ऐसा दावा है कि सोशल डिस्टेंसिंग से अच्छा विकल्प फिलहाल कुछ भी नहीं है, अगर हम सोशल डिस्टेंसिंग की समय अवधि की बात करें तो एक से डेढ़ साल तक हो सकता है, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन और दवा पर कार्य किया जा रहा है परंतु कोरोना वायरस की दवा जब तक नहीं बनती है तब तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत ही जरूरी है।
इन सभी बातों से यह पता चलता है कि जब तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनती है तब तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत ही जरूरी है, अन्यथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जाए तो इससे देश की आधी से अधिक आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकती है, विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि शुरुआती दौर से ही ज्यादा जांच होनी चाहिए थी लेकिन फिलहाल में जांच का दायरा और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है, दिन पर दिन ऐसे बहुत से लोग जांच के लिए आ रहे हैं जिनमें कोई भी कोरोना वायरस के लक्षण देखने को नहीं मिल रहे हैं, अलग-अलग राज्यों में रेंडम सेंपलिंग करके जांच करनी होगी, इससे इस बात का पता हो जाएगा कि कोरोना वायरस का संक्रमण कहां कहां पर है, अगर ऐसा किया जाए तो इससे आगे की तैयारी करना बहुत ही आसान रहेगा।