रावण की लंका में हनुमान जी ने क्यों लगाई थी आग, लंका दहन की इस दूसरी वजह को नहीं जानते होंगे आप
लंका दहन के पीछे एक नहीं बल्कि थी दो वजहें, दूसरी कहानी से आप भी होंगे अनजान
हनुमान जी की लंका दहन की कहानी के बारे में हर कोई जानता है। आप ये जानते होंगे की रावण के कहने पर सबने हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी थी। इसके बाद से हनुमान जी ने पूरी लंका में अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। लंका आग की लपटो में जल रही थी, लेकिन सिर्फ विभीषण का घर बचा था। हालांकि इस लंका दहन का सिर्फ एक मात्र ये ही कारण नहीं था। लंका में आग लगना पहले से तय था और इस दूसरे कारण के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज आपको हम दोनों कारणों और कहानी के बारे में बताएंगे जिसके कारण हनुमान जी ने लंका में आग लगा दी थी।
अशोक वाटिका कर दी थी तहस-नहस
पहली वजह जिसके बारे में लगभग हर कोई जानता है वो ये थी की जब बजरंग बली श्रीराम के आदेश पर लंका में प्रवेश करते हैं तो उनके सामने कई परेशानियां आती हैं। लंकिनी नाम की एक राक्षसी उनका द्वार रोकने की कोशिश करती है, लेकिन उसमें असफल होती है। पूरे लंका में ये खबर फैल जाती है कि महल में कोई वानर घूस आया है। जब हनुमान जी आगे बढ़ते हैं तो श्री राम का नाम सुनकर रुक जाते हैं। वो उस महल में जाते हैं जहां से श्रीराम के नाम की ध्वनी आती है। वो महल किसी और का नहीं बल्कि विभीषण का था जिनसे हनुमान जी मुलाकात करते हैं।
इसके बाद हनुमान जी अक्षय वाटिका में प्रवेश करते हैं और सब कुछ तहस नहस कर देते हैं। हनुमान जी को रोकने मेघनाद का पुत्र अक्षय कुमार सामने आता है, लेकिन बजरंगबली उसका वध कर देते है। इसके बाद मेघनाद स्वयं हनुमान जी को पकड़ने के लिए आता है। कई तरह के प्रहार करने के बाद जब वो असफल हो जाता है तो उनपर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है। हनुमान जी चाहते तो ब्रह्मास्त्र को काट देते, लेकिन वो सोचते हैं कि अगर ब्रह्मास्त्र को नहीं माना तो इसकी अपार महिमा मिट जाएगी।
इस वजह से लंका में बजरंग बली ने लगाई थी आग
इसके बाद मेघनाद हनुमान जी को ब्रहमास्त्र में जकड़े रावण की सभा में लेकर आता है। वहां पहुंचकर हनुमान जी रावण को समझाते हैं कि जो तू कर रहा है वो पाप है। इस पर रावण कहता है- दुष्ट! तेरा ये साहस, मुझे शिक्षा देने चला है, तेरी मृत्यु निकट आ गई है। इसके बाद रावण कहता है कि एक वानर को उसकी पूंछ से बड़ा लगाव होता है इसकी पूंछ में तेल लगा के आग जला दो।
रावण की बातें सुनकर हनुमान जी तुरंत अपनी पूंछ बड़ी कर लेते हैं। पूंछ इतनी बड़ी हो जाती है की लंका में घी-तेल की कमी पड़ने लगती है। इसके बाद जब पूंछ मे आग लगाई जाती है तो हनुमान जी पूरी लंका में घूम कर आग लगा देते है, सिर्फ एक विभीषण के महल को छोड़कर। इसके बाद हनुमान जी का ये रुप देखकर वहां की स्त्रियां भयभीत हो जाती है और चारों तरफ चीख पुकार मचने लगती हैं। सभी को समझ आ जाता है की अब लंका खत्म होने वाली है।
इस दूसरी वजह से भी हुआ था लंका दहन
इस कारण के बारे में शायद हर कोई जानता होगा, लेकिन लंका दहन के पीछे एक और बड़ी रोचक कहानी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल हनुमान जी कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव का ही अवतार हैं। एक बार माता पार्वती ने महल की इच्छा जागृत की तो शिव जी ने कुबेर से सोने के सुंदर महल का निर्माण करवाया। कुछ समय बाद रावण जब शिव जी के पास पहुंचा तो महल की सुंदरता देखकर उस पर मोहित हो गया। रावण बहुत बड़ा शिव भक्त था और महल में प्रवेश के लिए उसने शिव-पार्वती से पूजा करवाकर उनसे महल ही दक्षिणा में मांग लिया।
शिव जी ठहरे भोले-भंडारी रावण के कहने पर उसे महल दान कर दिया। दान में महल मिलने के बाद रावण के मन में विचार आया कि माता पार्वती के कहने पर ये महल बना है तो उनकी इच्छा उसने शिवजी को प्रसन्न कर माता पार्वती को भी मांग लिया और उनसे साथ चलने का आग्रह करने लगा। माता पार्वती को बहुत दुख हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु को याद किया। भगवान विष्णु ने माता पार्वती की रक्षा की और रावण को सिर्फ महल ले जाने दिया।
माता पार्वती अप्रसन्न हो गईं तो शिव जी ने अपनी गलती मानी और उन्हें वचन दिया की त्रेतायुग में वानर रुप में अवतार लूंगा। जब मैं सीता माता की खोज में सोने की लंका में जाउंगा तो तुम मेरे पूंछ बन जाना। इस कहानी को सत्य मानते हुए माना जाता है कि हनुमान जी ने शिव रुप में माता पार्वती के अपमान का बदला लेते हुए रावण की लंका में आग लगाई थी और उस महल को भी जला दिया था।