तब्लीगी जमातियों ने पहचान छुपाने के लिए हिंदू-आदिवासियों के नाम लिया सिम कार्ड
देशभर में कोरोना वायरस का संकट काफी तेजी से फैलता जा रहा है, सरकार इसकी रोकथाम के लिए हर कदम उठा रही है, लेकिन दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित मरकज में आयोजित धार्मिक सम्मेलन की वजह से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बहुत ही अधिक बढ़ गए हैं, आपको बता दें कि निजामुद्दीन स्थित मरकज में 14 मार्च से 22 मार्च तक धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया था, उसके बाद कोरोना वायरस के मामले काफी तेजी से बढ़ने लगे है, निजामुद्दीन मरकज में मिले हजारों तबलीगी जमातियों की वजह से देश में कोरोना वायरस का संकट बहुत अधिक बढ़ गया है, खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि निजामुद्दीन मरकज में लोहरदगा के 3 लोग मौजूद थे और इसके अंदर हिंदू और आदिवासी लोग भी शामिल थे, जब इसकी जांच पुलिस के द्वारा की गई तो यह मामला सामने आया कि हिंदू और आदिवासियों के नाम पर फर्जी सिम खरीदा गया था जिसका इस्तेमाल हुआ था।
निजामुद्दीन मरकज में लोहरदगा से जो 3 लोग शामिल हुए थे इन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए हिंदू और आदिवासी लोगों के नाम पर फर्जी सिम कार्ड का प्रयोग किया था, जब पुलिस को यह शक हुआ था तब पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हुआ है, पुलिस को इस बात का शक इसलिए हुआ क्योंकि जिन 3 लोगों के नाम और मोबाइल नंबर विशेष शाखा रिपोर्ट में दर्ज है वह कभी भी दिल्ली गए ही नहीं थे और इन तीन मोबाइल नंबरों में से दो मोबाइल नंबर पर कोई भी फोन रिसीव नहीं कर रहा है जबकि एक नंबर दिल्ली में है जिस पर फोन रिसीव हो रहे हैं।
विशेष शाखा में जो तीन मोबाइल नंबर दर्ज है वह लोग कभी दिल्ली में नहीं आए, अब सवाल यह उठता है कि आखिर जब यह लोग दिल्ली में नहीं आए तो हिंदू और आदिवासियों के नाम पर फर्जी सिम कार्ड खरीदा गया है और जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है, इन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए दूसरों की पहचान का सहारा लिया होगा, अगर ऐसा हुआ है तो यह बहुत ही बड़ा अपराध है, अपराधी लोग ही ऐसा करते हैं, जो गरीब आदिवासी के नाम पर फर्जी सिम लेकर धोखाधड़ी और साजिश रचने का काम करते हैं, इन सभी बातों से यह बल मिल रहा है कि यह जो लोग निजामुद्दीन मरकज में शामिल थे उन्होंने यह सब कुछ साजिश के अनुसार किया है और यह अपनी पहचान छुपाने के लिए इस तरह का फर्जी काम किया होगा, खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि फर्जी सिम खरीद कर पहचान छुपाने की नियत से प्रयोग में लाए जाने वाले नंबर की अभी जांच की जा रही है, फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को लेकर कोई भी बात साफ-साफ नहीं बोली है।
जिस प्रकार का मामला सामने आया है इससे तो यही लग रहा है कि यह सब साजिश के तहत अंजाम दिया गया है, विशेष शाखा की तरफ से दिल्ली जाने वाले लोगों की सूची में लोहरदगा के सरकारी कार्यालय के कर्मचारी का भी नाम सामने आया है जिसके पश्चात इस सरकारी कर्मचारी के साथ एक और व्यक्ति को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था, सैंपल की जांच करने के पश्चात रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई थी।