लॉकडाउन: 1400 KM दूर फंसा था बेटा, माँ स्कूटी से लेने निकल पड़ी, जाने फिर क्या हुआ
गौरतलब हैं कि कोरोना वायरस के चलते फिलहाल पुरे देश में लॉकडाउन हैं. ये लॉकडाउन 21 दिनों के लिए लगाया गया था और इसे आगे कुछ और दिनों के लिए बढ़ाया भी जा सकता हैं. जब इस लंबे लॉकडाउन का एलान हुआ था तो कई लोग अपने घर से दूर दुसरे शहर में थे. ऐसे में लॉकडाउन के बाद ये लोग वही अटक के रह गए. लॉकडाउन की वजह से बस, ट्रेन और हवाई यात्राएं भी बंद कर दी गई थी. ऐसे में बहुत से लोग जिनके पास कुछ सुविधाएं नहीं हैं वे घर आने को तड़प रहे हैं. कई तो घर से पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने निकल पड़े हैं. इस बीच एक माँ अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए 1400 किलोमीटर दूर स्कूटी चलाकर चली गई.
यह साहसपूर्ण काम तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली एक महिला शिक्षिका ने किया हैं. रजिया बेगम नाम की ये महिला निजामाबाद के बोधान में स्थित एक स्कूल में पढ़ाती हैं. महिला का बेटा आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में फंसा हुआ था ऐसे में रजिया बेगम अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए स्कूटी से ही निकल गई. इस दौरान उन्होंने 1400 किलोमीटर स्कूटी चलाई.
दरअसल महिला का बेटा निजामुद्दीन इंटरमीडिएट का स्टूडेंट हैं जो कि हैदराबाद में एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाई करता है. निजामुद्दीन के दोस्त को खबर मिली थी कि उसके पिता की तबियत खराब हैं, ऐसे में निजामुद्दीन अपने दोस्त को लेकर उसके घर नेल्लोर चला गया था. वे लोग 12 मार्च को पहुंचे थे. इसके कुछ दिन बाद ही देशभर में लॉकडाउन का एलान हो गया. ऐसे में निजामुद्दीन काफी दिनों से वहीं फंसा हुआ था.
अपने बेटे की चिंता कर रही रजिया ने फिर निर्णय लिया कि वो स्कूटी से ही लंबा सफ़र तय कर अपने बेटे को वापस घर लाएगी. इसलिए लिए उसने पुलिस से अनुमति पत्र बनवाया और स्कूटी लेकर बेटे को लेने निकल पड़ी. इस दौरान रजिया नेल्लोर पहुँचने के लिए जंगलों के रास्ते होकर भी गुजरी. रजिया का कहना हैं कि उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगा क्योंकि उस समय वो सिर्फ अपने बच्चे को वापस लाने के बारे में सोच रही थी. रजिया 7 अप्रैल को नेल्लोर पहुंची थी और अगले दिन यानी 8 अप्रैल को बेटे को लेकर वापस अपने घर बोधान आ गई. इस दौरान रजिया ने आश्चर्यजनक रूप से स्कूटी के माध्यम से ही 1400 किमी का सफ़र तय कर लिया. अनुमति पत्र बनवाने के लिए उन्होंने अपने बोधान के एसीपी से मदद ली थी. रास्ते में कई जगहों पर रजिया को रोका भी गया था लेकिन अनुमति पत्र और बेटे की बात बताने के बाद उन्हें जाने दिया गया.
इस तरह की और भी कई घटनाएं इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं. लॉकडाउन में हर कोई अपने घर अपने परिवार के पास जाने के लिए तड़प रहा हैं. जबकि सरकार ने लोगो को ये निर्देश दिए थे कि जो जहाँ हैं वहीं रहे और लॉकडाउन में सफ़र ना करे. कई एनजीओ भी लॉकडाउन में फंसे लोगो के खाने पिने और रहने का इंतजाम कर रहे हैं.