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कोरोना वायरस: पूर्व मिस इंग्लैंड इस वजह से बन गयी लोगों के लिए मिसाल, भारत से है ‘खास’ कनेक्शन
मिस इंग्लैंड भाषा मुखर्जी जिन्होंने 2019 का मिस इंग्लैंड टाइटल अपने नाम किया था, पेशे से डॉक्टर हैं। 23 साल की भाषा ने मेडिकल की 2 डिग्री हासिल की हैं और उन्हें 5 भाषाओं का (बंगाली, इंग्लिश, हिंदी, फ्रेंच, जर्मन ) काफी अच्छा ज्ञान है। डॉक्टर भाषा मुखर्जी जो कि मूल रूप से भारतीय हैं, ने 2019 में मिस इंग्लैंड का खिताब अपने नाम किया था।
यूके में कर रहीं मरीजों की देखभाल
भाषा का जन्म भारत में ही हुआ था, पर जब वह 9 साल की थीं तब उनका पूरा परिवार यूके शिफ्ट हो गया था। मॉडलिंग और चकाचौंध कि दुनिया में रहने के बावजूद भाषा अपना डॉक्टर होने का फर्ज नहीं भूलीं। इस समय जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही है। डॉ भाषा यूके के एक अस्पताल में रोगियों की सेवा कर रही हैं। यूके में कोरोना संक्रमित मरीजों की तेजी से बढ़ रही संख्या और कई लोगों की मौत को देखते हुए भाषा ने ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद फिर से डॉक्टर के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी संभाली है।
भारत में करती थीं समाज सेवा
डॉक्टर भाषा मुखर्जी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि वह पिछले कुछ समय से भारत में रहकर ही समाजसेवा कर रही थीं। लेकिन इस संक्रमण के फैलने से बिगड़ते हुए हालातों के मद्देनजर, उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्हें अब इंग्लैंड वापस लौट जाना चाहिए। भाषा ने कहा, ‘मैं घर वापस आना चाहती थी और सीधे अपने काम पर लौट जाना चाहती थी।’
भाषा के कुछ पुराने डॉक्टर दोस्त, जो कि बॉस्टन के अस्पताल में उनके साथ काम किया करते थे, ने उन्हें, अस्पतालों में दिन पर दिन बढ़ती मरीजों की संख्या से अवगत कराया। इसके बाद भाषा ने अस्पताल के प्रशासन को फोन कर वापस लौटने की इच्छा जाहिर की।
कहा- इसी काम के लिए हासिल की थी डिग्री
भाषा ने कहा, ‘मुझे अहसास हुआ कि शायद इसी काम के लिए मैंने यह डिग्री हासिल की थी और इसके इस्तेमाल का इससे अच्छा मौका मुझे फिर नहीं मिलेगा। इस समय पूरी दुनिया में स्वास्थ्यकर्मियों की वाहवाही हो रही है और मैं उनमें से एक हूँ और मदद कर सकती हूं। मिस इंग्लैंड बनने का और इंग्लैंड के देशवासियों की मदद करने का इससे अच्छा समय फिर नहीं मिल सकता।’
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का खतरा देश में भी लगातार बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक यहां मरीजों की संख्या पांच हजार के पार चली गयी है। इस खतरनाक संक्रमण से अब तक 149 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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