आज है महाष्टमी, इस तरह से करें महागौरी की पूजा, जानें मां से जुड़ी कथा एवं मंत्र
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और कई लोग इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं। इस दिन को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और साथ में ही जीवन के सभी पाप नष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए आप इस दिन मां महागौरी की पूजा जरूर करें। मां महागौरी की कथा, पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र से जुड़ी तमाम जानकारी इस प्रकार है।
कौन हैं मां महागौरी
मां महागौरी श्वेत रंग के वस्त्र धारण करती हैं और आभूषण पहनती हैं। इसलिए इनको श्वेतांबरधरा के नाम से भी जाना जाता है। मां महागौरी बैल की सवारी करती हैं और इसलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां महागौरी की चार भुजाएं हैं। जिनमें से दाहिनी भुजा में त्रिशूल और बाईं भुजा में डमरू हैं। जबकि अन्य दाहिनी भुजा अभय मुद्रा और दूसरी बाई भुजा वरद मुद्रा में होती हैं।
मां महागौरी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़ दिया और कहीं दूर चली गईं। मां ने कई सालों तक साधना और तपस्या की। वहीं एक दिन भगवान शिव ने किसी तरह से मां को खोज लिया। वहीं इतने सालों तक तपस्या करने के कारण मां का शरीर बेहद ही गौरा हो गया था और शरीर गौरा होने के कारण शिव जी ने पार्वती को गौर वर्ण का वरदान दिया और तब से माता पार्वती मां महागौरी कहलाने लगीं।
मां महागौरी पूजा मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महाष्टमी आती है और इस साल 2 अप्रैल को महाष्टमी आ रही है। पंड़ितों के अनुसार सुबह 03 बजकर 49 मिनट से महाष्टमी शुरू होगी। जिसका समापन 02 अप्रैल प्रात:काल 03 बजकर 40 मिनट पर होगा। महाष्टमी की पूजा सुबह 7 बजे करें और मां की पूजा के बाद कन्या का पूजन करें।
इस तरह से करें पूजा
मां महागौरी की पूजा करते हुआ सबसे पहले इनकी स्तुति पढ़ें। उसके बाद इनसे प्रार्थना करें और इनके जुड़े मंत्रों का जाप करें। मंत्र पढ़ने के बाद मां महागौरी की आरती गाए।
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
मां के मंत्र
1. ओम देवी महागौर्यै नमः।
2. माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।
श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।
महागौरी मां की आरती –
महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।