2 अप्रैल को मनाया जाएगा राम नवमी का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 02 अप्रैल को आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि चैत्र शुक्ल नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। भगवान श्रीराम विष्णु जी के अवतार थे और इनके जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोगों द्वारा व्रत रखा जाता है और राम जी की पूजा की जाती है।
राम नवमी का शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार 2 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 40 मिनट से राम नवमी शुरू हो जाएगी। जो कि 3 अप्रैल सुबह 02 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। राम नवमी का मुहूर्त 2 घंटे 30 मिनट का है। पूजा के लिए सुबह 11 बजकर 10 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक का समय उत्तम है और इस दौरान ही आप भगवान श्री राम की पूजा करें।
हो जाती है हर कामना पूरी
राम नवमी का व्रत करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं राम नवमी का व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है और भगवान विष्णु की कृपा बन जाती है।
विशेष दिन आ रही राम नवमी
इस साल राम नवमी गुरुवार के दिन आ रही है और गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना के लिए उत्तम माना गया है। ये दिन विष्णु जी को समर्पित हैं और इस दिन पूजा करने से विष्णु जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
इस तरह से करें पूजा
- सुबह उठकर घर की सफाई कर लें। इसके बाद स्नान करें और पूजा घर अच्छे से साफ करें।
- आप एक चौकी मंदिर में रख दें और इस पर राम जी या विष्णु जी की फोटो रख दें। इस चौकी पर पीले रंग का ही कपड़ा बिछाए। क्योंकि विष्णु जी को पीला रंग बेहद ही प्रिय है।
- अब आप मूर्ति पर फूलों का हर चढ़ाएं और एक दीपक जला दें।
- विष्णु जी को भोग लगाएं और फल अर्पित करें। इसके बाद राम जी या विष्णु जी से जुडे पाठ पढ़ें।
- पाठ पूरा करने के बाद आरती गाए और आरती खत्म होने के बाद प्रसाद लोगों में बांट दें।
- इस दिन राम नाम का जाप भी करें।
- अगर आपने राम नवमी का व्रत रखा है तो दिन में दो बार ही फल और दूध का सेवन करें। वहीं अगले दिन सुबह उठकर स्नान करें और पूजा करने के बाद अपना ये व्रत तोड़ दें।
- राम नवमी के दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। इसलिए आप चाहें तो इस दिन कन्या पूजन भी कर सकते हैं।
विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥