Coronavirus: खाई पैरासिटामॉल की गोली, जांच एजेंसियों को चकमा देकर निकल गए कोरोना संक्रमित
ऐसी कहावत है कि डॉक्टरों और वैद्य से आपको कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए। फिर भी कई कोरोना संक्रमितों ने डॉक्टरों को चकमा देकर आज पूरे देश को बड़े खतरे में डाल दिया है। खुद स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ऑफिसर ने भी इसे स्वीकार किया है। नॉर्थ दिल्ली मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ राम सिंह के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत में भी जिस तरीके से कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है और जिस तरीके से कर्फ्यू जैसे हालात बने हैं, उसके लिए यह कारण भी जिम्मेवार है।
दुनिया के अलग-अलग देशों में जो भारतीय फंसे हुए थे, उन्हें वहां से निकालने के लिए भारत की सरकार ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया। सभी देशों से भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा संपर्क स्थापित किया गया और अपने नागरिकों को यहां से निकालने की व्यवस्था भी की गई। जनवरी और फरवरी के दौरान बड़ी संख्या में विदेशों में रहने वाले भारतीय स्वदेश लौट आए। इसके अलावा अपनी खुद की पहल से भी बहुत से भारतीय वापस आ गए। जितने भी विदेशों में रहने वाले भारत के लोग या फिर विदेशी यहां आ रहे थे, देश के 21 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर उनके लिए थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था शुरू की गई थी।
धोखे से निकल गए
फैसला यह लिया गया था कि इस दौरान जो भी लोग संक्रमित पाए जाएंगे या जिन्हें लेकर संदेह की स्थिति होगी, उन्हें सबसे पहले क्वॉरेंटाइन किया जाएगा और केवल नेगेटिव रिपोर्ट आने की स्थिति में ही उन्हें छोड़ा जाएगा। हालांकि लोगों ने इसका तोड़ भी निकाल लिया। एयरपोर्ट पर जांच अधिकारियों को चकमा देने के लिए इन्होंने पेरासिटामोल या इससे संबंधित दवाइयां रास्ते में ही खा ली। इससे स्क्रीनिंग के दौरान ये पकड़े नहीं गए। अपने-अपने इलाकों में घरों में ये पहुंच गए। जहां-जहां ये लोग गए, वहां-वहां लोगों को संक्रमित भी करते गए।
धुआंधार बढ़े मामले
दुनिया में कोरोना के संक्रमित किस तरह से बढ़े, इसका आंकड़ा हैरान करने वाला है। पहले एक लाख मामले जहां 45 दिनों में सामने आए थे, वहीं दूसरे एक लाख मामले केवल 10 दिनों में ही सामने आ गए। उससे भी हैरानी भरा यह रहा कि तीसरे एक लाख मामले सामने आने में केवल तीन दिन लगे। संभव है कि कुछ दिनों में हर 24 घंटे में एक लाख मरीज बढ़ते जाएं और इन सभी को जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़े। लॉकडाउन का फैसला भी इसी वजह से भारत सरकार ने लिया। माना जा रहा है कि 31 मार्च तक स्थिति में यदि सुधार नहीं होता है तो भयावहता इसकी और बढ़ने वाली है।
सुन लें विशेषज्ञों की
आईसीएमआर के डॉ रमन गंगाखेड़कर के साथ दिल्ली सरकार के डॉ रहेजी और प्रो डॉ राम सहित सभी का यही मानना है कि सभी को जिम्मेवार लोगों की तरह पेश आना चाहिए। अपने मर्ज को छुपाना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा करके वे न केवल अपनी, बल्कि अपने परिवार के साथ अपने आसपास रहने वाले लोगों की भी जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सामने आए संभावित मामलों में सभी को संक्रमण नहीं है। करीब तीन दर्जन लोग ठीक भी हो चुके हैं।
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