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पीएम मोदी ने ऐसे ही नहीं की है 5 बजे थाली और ताली बजाने की बात, ये है इसके पीछे का रहस्य
हर बीतते दिन के साथ कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. ऐसी परिस्थिति में कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 मार्च देशभर में जनता कर्फ्यू लगाया गया. कर्फ्यू के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोगों के घरों में रहने और शाम के समय एक दूसरे का धन्यवाद करने की गुजारिश की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आभार व्यक्त करने के लिए सभी लोगों को थाली, घंटी, ताली और शंख बजाकर अभिवादन किया, पर क्या आपको पता है कि यह सिर्फ एक धन्यवाद करने का तरीका नहीं है बल्कि कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने का एक बहुत ही असरकारक तरीका भी साबित हो सकता है.
हम आपको बता दें कि कल शाम ठीक 5:00 बजे सायरन की आवाज सुनने के पश्चात लोग अपने घरों की बालकनी या आंगन में खड़े होकर जोर-जोर से ताली, घंटा, शंख बजाये. इन सभी चीजों से निकलने वाली ध्वनि से वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के फयदा होगा. दरअसल सनातन धर्म में 1 घंटे की आवाज, शंखनाद को बहुत ही असरकारक माना जाता है. इसलिए किसी भी शुभ कार्यों के दौरान इन चीजों का प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार घंटियों की आवाज पड़ने से दिमाग के बाएं भाग में एकता पैदा होती है.
जिस समय हम घंटी बजाते हैं वह एक तेज और स्थाई ध्वनि पैदा करते हैं जो प्रतिध्वनी मोड में न्यूनतम 7 सेकंड तक रहती है जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. हमारे शरीर के अंदर सात हीलिक तत्व मौजूद होते हैं, पर कई कारणों की वजह से यह ठीक से काम नहीं कर पाते हैं. सातों केंद्रों को चक्र भी कहा जाता है. इसी कारण घंटी तालियां थाली की आवाज सुनकर यह चक्र एक्टिवेट हो जाता है और शरीर की प्राण शक्ति को बढ़ाता है. जिसकी वजह से इसके बाद किसी भी प्रकार के वायरस का असर नहीं होता है. अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो घंटी, शंख या थाली बजाने से इससे उत्पन्न होने वाली आवाज वातावरण में एक कंपन उत्पन्न करती है. जिससे सभी प्रकार के जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते हैं. साथ ही हमारे आसपास का वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है.