कोरोना की चपेट में आया चूड़ियों का व्यापार, मांग हुई कम, 500 करोड़ रुपए का हुआ नुकसान
कोरोना वायरस का कहर व्यापार जगत पर सबसे अधिक पड़ा है और छोटे व्यापारियों का कारोबार पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। कोरोना वायरस के कारण फिरोजाबाद की चूड़ियों की रौनक भी कम हो गई है और चूड़ियों की बिक्री एकदम बंद हो गई है। दरअसल इस वायरस के डर के कारण व्यापारी फिरोजाबाद आकर चूड़ियां नहीं खरीद रहे हैं और ऐसा होने पर चूड़ियों का उत्पादन ना के सामान हो रहा है। हर साल इस समय चूड़ियों की बिक्री सबसे अधिक होती थी और इस समय को चूड़ियों का सबसे बड़ा सीजन माना जाता था। लेकिन कोरोना के चलते बाजारों की रौनक खत्म हो चुकी है और दुकाने बंद पड़ी है। जिसका सीधा असर चूड़ी बनाने वाले बिक्रताओं पर पड़ रहा है। चूड़ी कारोबारियों के अनुसार लगन के सीजन पर करीब पांच सौ करोड़ का कारोबार होता है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार चूड़ी कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। सुहाग नगरी में बनने वाली कांच की चूड़ियां पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। लेकिन कोरोना के चलते ये चूड़िया भी नहीं बिक रही है।
दरअसल होली के बाद सहालग के साथ बडे़-बडे़ मेले आदि लगते हैं और इन मेलों में चूड़ियों की दुकान जरूर लगाई जाती है। मगर कोरोना के कारण इस बार लोगों ने होली के मेले नहीं लगाएं और ऐसा होने पर चूड़ियों की खरीद भी कम हो गई। वहीं 25 तारीख से नवरात्रि का पर्व भी शुरू हो रहा है और नवरात्रि के दौरान भी लोगों द्वारा चूडियां खूब खरीदी जाती है और इस समय चूडियों की सेल काफी अधिक रहती है। लेकिन कोरोना ने इस बार नवरात्रि का रंग भी फिका कर दिया है।
कारोबारियों के अनुसार ये चूड़ियों का सीजन माना जाता है और इस सीजन में चूड़ियों की सबसे अधिक मांग होती है। ये मांग उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से होती है। वहीं उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से काफी सारे कोरोना के मामले सामने आए हैं। जिसके बाद से इन राज्यों में दुकाने और इत्यादि चीजों को बंद कर दिया गया है।
नहीं मिल रहा है आर्डर
चूड़ी व्यापारी नीरज जैन ने बताया कि होली के बाद से ही उनको देश के कई हिस्सों से चूड़ियों के आर्डर मिलते थे। लेकिन इस साल कोरोना के कारण व्यापार थम गया है और बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ है। बाहर के व्यापारी आर्डर नहीं दे रहे हैं और चूड़ियां नहीं बिक रही हैं। चूड़ी व्यापारी सत्यवीर गुप्ता के अनुसार उन्हें नेपाल और बंगलादेश से भी चूड़ियों के आर्डर मिला करते थे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नही है। चूड़ी की डिमांड नहीं होने के कारण इसका असर चूडियों के उत्पादन पर पड़ा है।
गौर है कि चूड़ियों के व्यापार से छोटे तबके के लोग अधिक जु़डे हुए हैं और इनकी रोजी रोटी इस व्यापार पर ही आधारित है। लेकिन इस साल चूडी के व्यापार की गति धीमी हो गई है और इसके सीधा असर मजदूरों पर पड़ा है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य के मजदूरों को ये विश्वास दिलाया है कि उनको सरकार द्वारा हजार रुपए दिए जाएंगे ताकि वो आसानी से खाना खरीद कर खा सकें।