4 साल के बच्चे ने शहीद पिता के अंतिम संस्कार में गाया ‘गोल गोल रानी, इत्ता इत्ता पानी’ और फिर..
बच्चे मन के सच्चे होते हैं. बच्चों की मासूमियत देख किसी का भी दिल पिघल जाता हैं. ये बड़े भोले होते हैं. इन्हें दुनियांदारी की ज्यादा समझ नहीं होती हैं. ऐसे में ये अपनी मासूम हरकतों या सवालों से हर किसी का दिल छू जाते हैं. अब ऐसा ही एक नजारा छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बीते रविवार देखने को मिला. यहाँ चार साल के एक बेटे को अपने शहीद पिता के अंतिम संस्कार में फेमस बालगीत ‘गोल-गोल रानी, इत्ता-इत्ता पानी..’ गाते हुए देखा गया. यह नजारा देख वहां मौजूद सभी लोगो की आँखों से आंसू झलक आए. आइये आपको भावुक कर देने वाला ये पूरा मामला विस्तार से बताते हैं.
दरअसल बीते रविवार यानि 15 मार्च 2020 को चार वर्षीय लक्की अपने पिता उपेंद्र साहू के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था. लक्की के पिता उपेंद्र साहू छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) में जवान थे. 14 मार्च शनिवार को बस्तर में एक नक्सली हमले के चलते छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के दो जवान शहीद हो गए थे. इनमें से एक लक्की के पिता उपेंद्र साहू भी थे. रविवार के दिन उपेंद्र साहू का बड़ा बेटा अनिरुद्ध अपने शहीद पिता को मुखाग्नि देने की तैयारी कर रहा था. इस दौरान शहीद उपेंद्र के परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों के आलावा उनका चार साल का बेटा लक्की भी मौजूद था.
शहीद उपेंद्र के पार्थिव शरीर को उनके साथी जवानों द्वारा कंधा देकर घर के पास स्थित इंद्रावती के नए पुल के नीचे नदी के तट लाया गया. इस दौरान शहीद उपेंद्र साहू को एक बार फिर गार्ड ऑफ ऑन से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही उनके पार्थिव शरीर की पुष्पचक्र परिक्रमा भी हुई. पुष्पचक्र परिक्रमा का नजारा चार साल का लक्की भी देख रहा था. ऐसे में उसके मासूम दिमाग को लगा कि यहाँ कोई खेल चल रहा हैं. इसलिए वो अपने एक रिश्तेदार की गोद में बैठे बैठे ही ‘गोल-गोल रानी, इत्ता-इत्ता पानी..’ बाल गीत गाने लगा गया. मासूम के मुंह से ये गीत सुन वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए. उन्हें शहिद पर बहुत गर्व हुआ और उनकी आँखें झलक पड़ी.
जब बच्चे ने गीत गाना समाप्त किया तो उसने अपने एक रिश्तेदार से बड़ी ही मासूमियत से पूछा कि पापा को कहाँ लगी हैं? उसने पहले अपने शहीद पापा का सिर छुआ और पूछा कि ‘क्या यहाँ लगी हैं?’ फिर नाक छूते हुए बोला ‘या यहाँ लगी हैं?’ बच्चे के इन मासूम सवालों को सुन वहां उपस्थित सभी लोग इमोशनल हो गए. कोई भी अपने आंसूओं को रोक नहीं पा रहा था. ये पूरा नजारा चार साल के लक्की की वजह से और भी ज्यादा भावुक हो गया था.
चार साल का लक्की अभी भले बच्चा हैं लेकिन जब वो बड़ा होगा और अपने पिता की शहादत के बारे में समझने लगेगा तो यक़ीनन उसे भी अपने पिता पर बहुत गर्व होगा. जब भी कोई जवान देश की रक्षा में अपने प्राण त्यागता हैं तो अपने पीछे पुरे परिवार को अकेला छोड़ जाता हैं. एक जवान की नौकरी में जान का खतरा हमेशा बना ही रहता हैं लेकिन फिर भी हर साल हजारों लोग अपने देश की रक्षा के लिए सेना और अन्य सुरक्षा बालों में भर्ती होते हैं.