पूजा घर में मंगल कलश रखने से हो जाती है गरीबी दूर, जानें मंगल कलश रखने के 3 फायदे
हिंदू धर्म में कलश को बेहद ही शुभ माना जाता है और गृहप्रवेश, नवरात्रि पूजन, दीपावली, यज्ञ-अनुष्ठान, विवाह और कई तरह के मांगलिक कार्यों को शुरू करने से पहले कलश को स्थापित किया जाता है। कलश की स्थापना करने के बाद ही पूजा शुरू की जाती है। इसके अलावा कई लोग अपने पूजा घर में हमेशा कलश को स्थापित करके रखते हैं। घर में कलश की स्थापना करना अति लाभकारी माना जाता है। इसलिए आप भी अपने पूजा घर में कलश को जरूर स्थापित करें।
घर में मंगल कलश स्थापित करने के लाभ
सुख और समृद्धि
घर में सुख और समृद्धि बनाए रखने के लिए कलश को जरूर स्थापित करें। कलश को अमृत की तरह माना जाता है और मंगल-कलश समुद्र मंथन का प्रतीक होता है। समुद्र मंथन के दौरान कलश के अंदर ही अमृत था। इसलिए कलश को शुभ प्रतीक माना जाता है। कलश के अंदर जल भरकर और उसके ऊपर नारियल रखने से घर की सुख और समृद्धि सदा बरकरार रहती है। इतना ही नहीं पूजा घर में कलश होने से घर के सदस्य रोग मुक्त भी रहते हैं।
कलश को रखने के लिए ईशान कोण ही सबसे उत्तम होता है। इसलिए आप इस कलश को मंदिर के ईशान कोण में ही रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण में जल की स्थापना करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो जाता है। जो भी लोग अपने घर में कलश रखना चाहते हैं वो इसकी स्थापना मंदिर के ईशाण कोण में ही करें।
सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है घर
घर में सकारात्मक ऊर्जा होना बेहद ही जरूरी होता है। सकारात्मक होने पर ही घर का माहौल सही रहता है और घर के लोगों में प्यार बना रहता है। कलश को पूजा घर में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनीं रहती है। इसलिए आप मंगल कलश अपने घर में जरूर रखें। साथ में ही कलश के ऊपर लाल रंग की मौली भी बांध दें। इस कलश पर नारियल भी रखें और कलश पर स्वास्तिक का निशान कुमकुम की मदद से बना दें। ये कलश घर में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण निर्मित होगी।
धन की हो ना कमी
दीपवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा करते समय कलश को जरूर स्थापित किया जाता है। दरअसल कलश में मां लक्ष्मी का वास भी माना जाता है। इसलिए पूजा घर में मंगल कलश होने पर घर में सदा पैसों की बरकत रहती है और कभी भी धन हानि नहीं होती है।
कैसे रखा जाता मंगल कलश
मंगल कलश को रखने से पहले ईशान कोण पर एक चौकी रख दें। इस चौकी पर कुंकुम, हल्दी और आटे की मदद से रंगोली बना दें। फिर इसके ऊपर कलश की स्थापना कर दें। एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भर दें और कुछ आम के पत्ते डाल दें। इसके बाद इसके ऊपर नारियल रख दें। कलश पर रोली, स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर, उसके गले पर मौली बांध दें। समय-समय पर कलश में रखे पानी को बदलते रहें।