कभी नंगे पैर जाया करती थी स्कूल, आज अमेरिका में चला रही है कंपनी, इस तरह से चमकी थी किस्मत
कहते हैं कि जो किस्मत में लिखा होता है वो जरूर मिलता है और ऐसा ही कुछ ज्योति रेड्डी नामक महिला के साथ हुआ है। ज्योति रेड्डी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन आज ये अमेरिका में खुद का व्यापार कर ही हैं और अलिशन जिंदगी जी रही हैं। ज्योति रेड्डी ने अपने जीवन में खूब संघर्ष किया है। जब ये नौ साल की थीं तब इनके पिता ने इन्हें और इनकी छोटी बहन को अनाथालय भेज दिया था। ज्योति रेड्डी का परिवार बेहद ही बड़ा था। जिसके कारण उनके पिता ने ये कदम उठाया था।
ज्योति का जन्म आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के गुडेम जिले में हुआ और इनके परिवार में कुल पांच भाई-बहन थे। इनके पिता एक मामूली किसान थे और किसानी करके ही अपने परिवार का पेट पाला करते थे। ज्योति रेड्डी और उनकी बहन को पेट भर खाना मिल सके, इसके लिए इनके पिता वेंकट रेड्डी ने इन्हें अनाथालाय भेज दिया। लेकिन ज्याति रेड्डी अपनी बहन के साथ अनाथालय नहीं रहे सकी और वापस से अपने घर आ गई। ज्याति रेड्डी के अनुसार उनको हर समय अपने पिता और मां की याद आती थी। जिसके कारण वो वापस से अपने घर आ गई।
घर आने के बाद ज्याति रेड्डी ने अपनी पढ़ाई पर खूब ध्यान देना शुरू कर दिया। ज्याति रेड्डी के मुताबिक वो नंगे पांव चलकर स्कूल जाती थीं और उनका स्कूल ढाई किलोमीटर दूर था। स्कूल में ज्योति हमेशा पीछे वाली सीट पर बैठती थीं क्योंकि उनके कपड़े गंदे होते थे। पिता की घर चलाने में मदद हो सके इसके लिए ज्योति रेड्डी ने पढ़ाई के साथ-साथ वोकेशनल ट्रेनिंग भी ली। ताकि वो कपड़े सिलकर पैसे कमा सके। इतना ही नहीं पैसे कमाने के लिए वो अनाथालय की सुप्रिटेंडेंट के घर काम भी किया करती थी।
इस तरह से भरी फीस
ज्योति रेड्डी के अनुसार अपनी फीस भरने के लिए उन्होंने सुप्रिटेंडेंट से 110 रुपये उधार लिए थे और आंध्रा बालिका कॉलेज में बायोलॉजी, फिजिक्स और केमिस्ट्री विषयों में एडमिशन लिया था। ग्रेजुएशन करने के बाद ज्योति रेड्डी को सरकारी स्कूल में नौकरी मिल गई और इस काम के लिए ज्योति को 400 रुपये मिलते थे। वहीं इसी बीच ज्योति रेड्डी के पिता ने उनका विवाह करवा दिया। जिस समय ज्योति रेड्डी का विवाह हुआ था उस वक्त इनकी आयु 16 साल की थी। शादी के तीन साल बाद ही ज्योति रेड्डी ने दो बेटियां बीना और बिंदू को जन्म दिया।
परिवार का गुजारा अच्छे से हो सकेे इसके लिए ज्योति रेड्डी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा पेटीकोट भी सिला करती थी। वहीं इस दौरान ज्याति रेड्डी को जन शिक्षा निलयम वारंगल में लाइब्रेरियन की नौकरी मिल गई। नौकरी करने के साथ ही ज्याति रेड्डी ने डॉ. भीम राव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई भी की और बीए करने के बाद ज्योति रेड्डी ने साल 1997 में काकातिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री भी की और कंप्यूटर साइंस में पीजी डिप्लोमा किया।
साल 2000 में बदल गई किस्तम
ज्योति रेड्डी की किस्मत साल 2000 में पूरी तरह से बदल गई। जब उन्हें अमेरिका से एक नौकरी का ऑफर आया। नौकरी करने के लिए ज्योति रेड्डी को अपने परिवार को छोड़ना पड़ा और ज्योति रेड्डी ने अपनी दोनों बेटियों को हॉस्टल भेज दिया। अमेरिका जाकर ज्योति रेड्डी ने गैस स्टेशन में नौकरी की और बेबी सिटिंग, विडियो शॉप में भी काम किया। डेढ़ साल तक अमेरिका में काम करने के बाद ज्योति रेड्डी भारत आ गई।
भारत आने के बाद ज्योति रेड्डी फिर से अमेरिका गईं और अमेरिका में जाकर अपनी एक कंपनी शुरू की। ज्योति रेड्डी ने वीजा प्रोसेसिंग के लिए एक कंसल्टिंग कंपनी खोली और इस कंपनी को सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन नाम दिया। तीन साल के अंदर ही ज्योति की ये कंपनी अच्छे से चलने लग गई। ज्योति की इस कंपनी में आज 100 से अधिक लोग काम करते हैं और इस कंपनी का टर्नओवर 1.5 करोड़ डॉलर से अधिक है।