महारानी की तरह बग्घी में बारात लेकर पहुंची दुल्हन, टकटकी लगाए देखता रह गया पूरा शहर
इन दिनों पुरे हिंदुस्तान में शादी ब्याह का सीजन चल रहा हैं. ऐसे में आप लोगो को भी कई शादियों में शामिल होने का मौका जरूर मिला होगा. इसके आलावा आप लोगो ने सड़क पर दूल्हें को बारात ले जाते हुए भी कई बार देखा ही होगा. लेकिन क्या आप ने कभी ऐसा देखा हैं कि दुल्हन घोड़े वाली बग्घी पर सवार होकर, आँखों में काला चश्मा पहनकर बारात लेकर एंट्री मारती हैं? यक़ीनन ऐसी चीज बहुत कम ही देखने को मिलती हैं. दरअसल ये अनोखा नजारा हमें उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में देखने को मिला हैं. लखनऊ नवाबों का शहर कहा जाता हैं ऐसे में इस दुल्हन के ठाठ बाट और अंदाज़ भी किसी नवाबों से कम नहीं थे.
गुरुवार के दिन हुई इस अनोखी शादी को जिसने भी देखा वो बस देखता ही रह गया. दिलचस्प बात ये थी कि इस नई परंपरा को स्टार्ट करने के पीछे एक बेहतरीन सोच भी छिपी थी. दुल्हन को बारात ले जाता दिखाकर समाज को ये संदेश दिया गया कि बेटियों को भी बेटों के बराबर हक़ मिलना चाहिए. तस्वीर में दिखाई दे रही ये दुल्हन लखनऊ निवासी राजेश कुमार विद्यार्थी की बिटिया रचना हैं. रचना ने बड़ी शान से रथ में सवार होकर रोड पर अपनी बारात निकाली और फिर दूल्हें के पास जा पहुंची.
इसके पीछे एक सोच ये भी हैं कि शादी में सिर्फ किसी एक पक्ष का सिर उंचा ना हो बल्कि दोनों ही पक्ष को बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए. एक और बात बता दे कि दुल्हन ने अपनी शादी में बारात निकाली इसका ये मतलब नहीं कि दुल्हे को ये मौक़ा नहीं मिला. बल्कि उसने भी अपनी बारात अलग निकाली थी. इसके बाद ये दोनों ही विवाह स्थल पर अपनी अपनी बारात लेकर आए थे. ऐसे में लड़का और लड़की दोनों का ही गेट पर मान सम्मान किया गया.
रचना के पिता ने अपने मेहमानों को यह नहीं बताया था कि वे इस अंदाज़ में अपनी बिटिया की शादी कर रहे हैं. ऐसे में जब लोगो को अचानक इस तरह का नजारा देखने को मिला तो वे सरप्राइज हो गए. बाद में उन्होंने भी इस नई परंपरा की तारीफ़ की. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राजेश कुमार ने अपनी बेटी रचना का विवाह रामलाल के बेटे रुपेश से तय किया था. ये शादी बीते गुरुवार यानी 12 मार्च को लखनऊ के रामाधीन सिंह उत्सव लॉन में हुई थी.
दुल्हन के पिता बताते हैं कि हमें ये पसंद नहीं कि सिर्फ लड़का की हाथ में तलवार पकड़े घोड़ा लेकर आए. यह चीज किसी एक पक्ष को ऊँचा दिखाती हैं. इसलिए जब हमने दुल्हन के बारात लाने की बात लड़के के पिता से कही तो वे भी इस चीज के लिए राज़ी हो गए. दुल्हे के पिता रामलाल कहते हैं कि बहू भी बेटी ही होती हैं. ऐसे में हमे उसके आत्मसम्मान का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए. वहीं दुल्हा रुपेश और दुल्हन रचना का कहना हैं कि हम अपनी संतों को भी इसी तरह की अच्छी सोच और शिक्षा देने की कोशिश करेंगे.
वैसे आप लोगो को दुल्हन का बारात लेकर आने वाला आईडिया कैसा लगा हमें कमेंट में जरूर बताए.