इस गांव में होली पर दामाद को करवाई जाती है गधे की सवारी, इस तरह से किया जाता है दामाद का चयन
भारत के कई हिस्सों में होली को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। कुछ जगहों पर होली रंगों से खेली जाती है, तो कई हिस्सों में इस दिल फूलों से ये त्योहार मनाया जाता है। भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां पर इस त्योहार के दिन दामाद को गधे पर बैठाया जाता है। जी हां, अपने एकदम सही पढ़ा। महाराष्ट्र के बीड जिले के एक गांव में होली वाले दिन दामाद को गधे पर घूमाया जाता है और ये नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग इस गांव में आया करते हैं।
सदियों से चल रही है ये परम्परा
महाराष्ट्र के बीड जिले के केज तहसील के विडा गांव में दामाद की सवारी होली वाले दिन गधे पर करवाई जाती है। इस गांव में ये परम्परा सदियों से चली आ रही है। गांव वालों के अनुसार ये परम्परा 90 साल पुरानी है और आज भी इस परम्परा का पालन किया जा रहा है। होली वाले दिन गांव के ‘सबसे नए दामाद’ को गधे पर बैठाया जाता है। दामाद को गधे पर बैठाने के बाद उसे गांव में घुमाया जाता है। ये नजारा देखने के लिए गांव के सभी लोग मौजूद रहते हैं। इतना ही नहीं अन्य गांवों से भी लोग होली के अवसर पर इस गांव आते हैं और इस परम्परा को देखते हैं।
दिया जाते हैं कपड़े उपहार में
गांव के सबसे नए दामाद को गधे की सवारी करवाने के बाद उसे नए कपड़े दिए जाते हैं। गधे पर दामाद को बैठाकर उसे पहले गांव में घूमा जाता है। उसके बाद उसके कपड़े बदल दिए जाते हैं और दामाद को उसके पसंद के कपड़े दिए जाते हैं। मंगलवार को होली के दौरान इस गांव के लोगों ने धूमधाम से इस परम्परा को मनाया।
स्थानीय पत्रकार दत्ता देशमुख के अनुसार गांव के सबसे नए दामाद को चुना जाता है और गांव के नए दामाद को एक प्रक्रिया के तहत चुना जाता है। इस प्रक्रिया को करने में तीन से चार दिन लग जाते हैं। दामाद का चयन करने के बाद उसे होली से कुछ दिन पहले ही गांव में बुला दिया जाता है और उस पर कड़ी नजर रखी जाती है। ताकि वो गांव से भाग ना जाए। वहीं होली वाले दिन उसे गधे पर बैठाया जाता है।
गांव के एक निवासी अंगन देथे ने इस परम्परा के बारे में बताते हुए कहा कि उनके गांव में इस परम्परा को आनंदराव देशमुख नामक शख्स ने 90 साल पहले शुरू किया था और आज भी इस परम्परा का पालन किया जा रहा है। परंपरा के तहत सबसे पहले गंधे पर आनंदराव ने अपने ही दामाद को बैठाया था। जब मैं यहां शादी कर के आया था तब मुझे भी गधे पर घुमाया गया था।
मंदिर पर जाकर खत्म होती है ये यात्रा
गधे की सवारी करवाने वाली ये यात्रा होली के दिन गांव के मध्य क्षेत्र से शुरू होती है और हनुमान मंदिर पर जाकर खत्म की जाती है। वहीं सवारी खत्म होने के बाद दामाद को गांव वाले मिलकर कपड़े दिया करते हैं।