श्रीदेवी कभी नहीं चाहती थीं फिल्मों में काम करें बेटी जान्हवी, ऐसी थी मां-बेटी की आखिरी मुलाकात
श्रीदेवी बॉलीवुड की बहुत ही मशहूर अभिनेत्री थी. आज के समय में भले ही श्रीदेवी हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी यादे आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं. श्रीदेवी अपनी बेटी जान्हवी कपूर के बहुत करीब थीं. जिस वक़्त जान्हवी कपूर अपनी पहली फिल्म धड़क की शूटिंग में व्यस्त थी तभी दुबई में श्रीदेवी का देहांत हो गया था. जान्हवी कपूर ने अक्सर इस बात के बारे में बताया है की उनकी माँ श्रीदेवी उनकी डेब्यू फिल्म को देखना चाहती थीं पर उनकी पहली फिल्म रिलीज होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी और उनका ये सपना अधूरा रह गया. आज जान्हवी कपूर अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं.
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श्रीदेवी की मृत्यु के बाद जान्हवी कपूर ने वोग मैगजीन को एक इटरव्यू दिया था. जाह्नवी का ये इंटरव्यू करण जौहर ने लिया था. इस इंटरव्यू के दौरान करण ने खुलासा किया था कि श्रीदेवी ने अपनी बेटी जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म ‘धड़क’ का 25 मिनट का फुटेज देखा था. श्रीदेवी ने धड़क फिल्म का फुटेज देखने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को कुछ टिप्स भी दिए थे. जाह्नवी कपूर ने इंटरव्यू में बताया था, ‘ जब मां ने मेरी फिल्म की फुटेज देखि तो उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम्हारा मस्कारा बहुत फैल गया है, जो तुम्हें भी बहुत डिस्टर्ब कर रहा है. तुम कभी भी अपने चेहरे पर किसी चीज को आने से नहीं रोक सकती. इसलिए पहले से तैयार रहो.
जाह्नवी कपूर ने इंटरव्यू में बताया था, ‘मैंने लंदन के एक्टिंग स्कूल से एक्टिंग का कोर्स किया है. जब मैं पहली बार एक्टिंग स्कूल में गयी थी तब मुझे छोड़ने के लिए माँ भी साथ गयी थी. तब माँ ने मुझसे कहा था कि मैं कमल को कीचड़ में छोड़ रही हूं. मां की इच्छा नहीं थी की मैं फिल्मी दुनिया में कदम रखूं. वो खुशी (श्रीदेवी की छोटी बेटी) के फिल्मों में काम करने को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत थीं. पर मुझे लेकर वो हमेशा चिंता करती थी. उन्हें ऐसा लगता था की मैं बहुत सेंसिटिव हूं’
जाह्नवी ने कहा था, ‘दुबई जाने से पहले मैं मां के साथ थोड़ा भी वक़्त नहीं बिता सकी थी और ना ही उनसे अच्छे से बात कर पायी थी. पूरा दिन फिल्म की शूटिंग करने के बाद देर शाम उनसे मुलाकात हुई थी. माँ हमेशा मुझे सुलाया करती थीं. उस दिन भी मैंने माँ से मुझे सुलाने को कहा था. पर मां को शादी में जाना था और वो अपनी तैयारियों में काफी बिजी थीं. माँ को बिजी देखकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई, मुझे आज भी याद है की रात को काफी देर के बाद वो मेरे कमरे में मुझे सुलाने आई थीं, नींद में होने के बावजूद मैंने उनके हाथों को अपने माथे पर महसूस किया था. मां की मृत्यु के बाद हमारा परिवार और भी अधिक करीब आ गया है लेकिन मां की कमी कभी भी कोई पूरी नहीं कर सकता है.’