उद्धव के अयोध्या आने का हुआ विरोध, संतों ने कहा- अयोध्या आने की जगह उन्हें मक्का जाना चाहिए
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सात मार्च को रामलला के दर्शन करने के लिए अयोध्या जाने वाले हैं और ठाकरे के इसी दौरे का विरोध महंतों द्वारा किया जा रहा है। अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने उद्धव ठाकरे के इस दौरे का विरोध किया है और महंत परमहंस दास ने विरोध करते हुए कहा है कि उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लालच में आकर कांग्रेस से हाथ मिला था और राम भक्तों को धोखा दिया है। लिहाजा उनको न तो अयोध्या में प्रवेश करने दिया जाएगा और न ही उनको रामलला के दर्शन करने दिए जाएंगे। महंत ने कहा, मैं खुद उद्धव ठाकरे का रास्ता रोकूंगा। उद्धव ठाकरे का ये अयोध्या दौरा राजनीति से प्रेरित है और अयोध्या आने की जगह उन्हें मक्का जाना चाहिए।
कांग्रेस वही सरकार है जिस ने भगवान् राम को काल्पनिक कहा था और राम मंदिर के मामले को ७० बर्षों तक उलझा कर रखा, एक संत ने यह भी कहा की हिन्दुओं को धोखा देती है कांग्रेस
उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे को याद करते हुए परमहंस दास ने कहा, ‘हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे ने हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए शिवसेना का गठन किया था। क्योंकि दुनिया में हिंदुओं के लिए अपना कोई देश नहीं है। बाला साहेब ठाकरे का सपना हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने का था। बाला साहेब ठाकरे ने एक बार कहा था कि हम शिवसेना को कांग्रेस नहीं बनने देंगे। अगर जरूरत पड़ी। तो हम चुनाव भी नहीं लड़ेंगे। लेकिन आज सत्ता के लालच में आकर उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे का अपमान किया है। अब इनकी अयोध्या में कोई जरूरत नहीं हैं। मैं उद्धव ठाकरे को किसी भी कीमत पर अयोध्या में प्रवेश नहीं करने दूंगा और न ही रामलला के दर्शन करने दूंगा।
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रविंद्र कुमार द्विवेदी ने भी उद्धव ठाकरे के इस दौरे का विरोध किया है और कहा है कि अगर उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि में पैर रखा तो हम उसे गंगाजल से शुद्ध कराएंगे। रविन्द्र कुमार द्विवेदी के अनुसार उद्धव ठाकरे ने ‘पहले मंदिर फिर सरकार’ का नारा बुलंद किया था। लेकिन अब श्रीराम के अस्तित्व को नकारने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में देने वाली कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ सरकार बना ली है। अब उद्धव ठाकरे अयोध्या आने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।
गठबंधन से बनाई थी सरकार
गौरतलब है कि महाराष्ट्र राज्य में सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था। जिसके बाद उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद मिल गया था। दरअसल बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था और इस चुनाव को जीता भी लिया था। लेकिन शिवसेना अपनी पार्टी के नेता को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी। जिसके चलते इनका गठबंधन टूट गया था। गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बना ली। शिवसेना के इस फैसले से संत नाराज हैं और ठाकरे के इस दौरे के विरोध में उतर आए हैं। हालांकि इन विरोध के बीच ठाकरे के अयोध्या दौरे की तैयारियां की जा रही हैं और इनकी पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत अयोध्या पहुंचे हैं। जहां पर उन्होंने सात मार्च को हो रहे ठाकरे के दौरे के इंतजामों को देखा है।