अध्यात्म

जानें क्या है होलाष्टक और क्यों होली के 8 दिन पहले से शुभ कार्य करना वर्जित होता है

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर आठवें दिन तक होलाष्टक रहती है। होलाष्टक के आखिरी दिन होली का दहन किया जाता है और इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते है। इस साल 02 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो रही है। जो कि 9 मार्च तक है। 9 मार्च को होली का दहन है और उसके अगले दिन ही होली का पर्व है। इसलिए आप 2 से लेकर 10 मार्च तक कोई भी शुभ कार्य करने से बचें।

क्या होती है होलाष्टक ?

होलाष्टक का मतलब होली के पूर्व के आठ दिन होते हैं। शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दौरान किए गए शुभ कार्य सफल नहीं माने जाते हैं। अगर इस दौरान शादी की जाए तो वो टूट जाती है। घर में हवन करवाने से कोई लाभ नहीं मिलता है और नए घर में प्रवेश करने से घर में अशांति बनीं रहती है।

क्यों माने जाते हैं ये अशुभ दिन

किसी भी शुभ कार्य को अगर होलाष्टक में किया जाए तो उसका फल अशुभ ही रहता है। होलाष्टक के आठ दिनों को अशुभ मानने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से सर्वशक्तिशाली होने का वरदान हासिल किया था। ये वरदान मिलते ही राजा हिरण्यकश्यप ने लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और खुद को भगवान मानने लगा। हिरण्यकश्यप अपनी प्रजा को खूब तंग किया करता था और उनको किसी भी भगवान की पूजा नहीं करने देता था। हालांकि हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त हुआ करता था और हर समय विष्णु जी की पूजा किया करता था। प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने कई बार विष्णु जी की पूजा करने से रोका लेकिन वो नहीं माना। जिसके चलते हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद पर अत्याचार करना शुरू कर दी।

अपने पुत्र की विष्णुभक्त से तंग आकर एक दिन हिरण्यकश्यप ने उसे मारने का सोच और ये कार्य करने के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। हिरण्यकश्यप ने होलिका को कहा कि वो प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर अग्नि में जाकर बैठ जाए। ऐसा करने से  प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाएगा। दरअसल होलिका को वरदान मिल रखा था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती है और इसी वरदान के चलते होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठने को तैयार हो गई।

लेकिन जैसे ही होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ तो वो स्वयं जलकर मर गई और प्रह्लाद को आग छू भी ना सकी। ये  सब देखकर हिरण्यकश्यप हैरान रहे गया। कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जलाए जाने से पहले आठ दिनों तक उसको खूब  शारीरिक प्रताड़नाएं दी थी। इसलिए इन आठ दिनों को हिंदू धर्म के अनुसार अशुभ माना जाता है और इन आठ दिनों तक कोई भी शुभकार्य नहीं किए जाते हैं।

वहीं आठवें दिन होलिका का दहन किया जाता है। होलिका का दहन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। होलिका का दहन करने से पहले पूजा की जाती है और फिर लकड़ियों के ढेर को आग लगाई जाती है।

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