लोगों द्वारा की जाने वाली बुराई पर ध्यान देने की जगह, हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें
जीवन में नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और सदा अपने लक्ष्य के बारे में ही सोचना चाहिए। अपने बारे में नकारात्मक बातें सुनने पर कई लोग अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और इन बातों से प्रभावित हो जाते हैं। जिससे की उनकी अच्छाई बुराई में बदल जाती है। इस विषय से एक लोक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक संत बेहद ही ज्ञानी होता है। ये संत गांवों में जाकर प्रवचन दिया करता था। ताकि प्रवचन के माध्यम से ये लोगों को सही राह दिखा सखे।
एक बार ये संत अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव में जाता है। इस संत को देख गांव वाले खुश हो जाते हैं और संत से विनती करते हैं कि वो कुछ दिनों के लिए गांव में रुक जाए और रोज उन्हें अच्छे प्रवचन दें। संत गांव वालों की बात मान लेता है और रोज शाम को गावं वालों को प्रवचन देता है। संत के प्रवचन सुनने के लिए रोज सारे गांव वाले आते थे। इसी गांव में एक साधु रहा करता था और जब उसने संत के पास इतने सारे गांवों वालों को देख तो उसे ईर्ष्या होने लगी। क्योंकि साधु के पास कोई भी गांव वाला नहीं आता था और जो गांव वाले आते थे उन्होंने भी संत के पास जाना शुरू कर दिया।
साधु ने ईर्ष्या में आकर संत के बारे में दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। ताकि संत के पास लोग जाना बंद कर दें और संत गांव को छोड़कर चले जाए। एक दिन संत के शिष्य को एक गांव वाले ने साधु के बारे में बताया और कहा कि साधु द्वारा संत का दुष्प्रचार किया जा रहा है। ताकि लोग संत के पास आना बंद कर दे। ये बात पता चलते ही शिष्य संत के पास जाता है और संत को पूरी बात बताता है। शिष्य संत से कहता है कि जैसे वो आपका दुष्प्रचार कर रहा है। वैसे ही हमें भी उसका दुष्प्रचार करना चाहिए। आप अच्छा काम कर रहे हैं वो दुष्प्रचार करके आपके बदनाम कर रहा है।
संत ने शिष्य की पूरी बात सुनकर कहा, जब आप अच्छा काम करते हैं तो आपको अपने बारे में नकारात्मक बाते सुनने को मिलती है। नकारात्मक बातों को सुनकर अगर आप भी नकारात्मक बाते बोलना शुरू कर दो गे। तो तुम अपने लक्ष्य से भटक जाओंगे। हमारा काम लोगों को प्रवचन देना है। ताकि लोग अच्छी राह को चुन सके। ना की गलत लोगों की बातें सुनकर उनकी तरह गलत बात करना।
संत की ये बात सुनकर भी शिष्य नहीं मान। तब संत ने एक उदाहरण देते हुए शिष्य को समझाया कि जब जंगल में रहने वाला हाथी गांव में आ जाता है। तो उस गांव में रहने वाले कुत्ते भौंकना शुरू कर देते हैं। कुत्तों के भौंगने का असर हाथी पर नहीं पड़ता है। क्योंकि हाथी को पता है कि कुत्ते कितना भी भौंग ले, उसपर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा और एक समय पर कुत्ते भौंकते हुए थक जाएं हैं। हमें भी अपनी बुराई करने वालों के साथ इसी ऐसे ही पेश आना चाहिए।
प्रसंग की सीख
इस कथा से हमें सीख मिलती है कि दूसरों की नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।