अनोखा गांवः देश का ऐसा गांव जहां घरों में नहीं लगते दरवाजे, क्योंकि चोर तुरंत हो जाता है अंधा!
नई दिल्ली – दुनिया अजीब जगहों से भरी पड़ी है, विशेषकर अपने देश में तो ऐसी तमाम जगहें हैं जहां से कुछ न कुछ प्रथाएं जुड़ी हुई हैं। बिहार के पश्चिम चंपारण में जिला बगहा की नौरंगिया दरदरी पंचायत में स्थित नौरंगिया गांव में हर साल वैशाख माह में जानकी नवमी के दिन आस्था का भव्य रुप देखने को मिलता है। इस दिन इस गांव के सभी लोग वनवास पर होते हैं। इस दिन वें घर छोड़ते वक्त अपने-अपने घरों में ताले नहीं लगाते, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दौरान अगर कोई इस गांव के किसी भी घर में चोरी करने की कोशिश करता है तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है। आश्चर्य की बात यह है कि यह परंपरा करीब 200 वर्ष से चली आ रही है। Unique village in India.
घरों में नहीं हैं दरवाजे, चोरी करने वाला हो जाता है अंधा –
आपको बता दें कि नौरंगिया गांव में करीब 800 घर हैं, जहां के लोग प्राकृतिक आपदा से खुद को बचाने के लिए जानकी नवमी के दिन अपने बाल-बच्चे व मवेशियों समेत जंगल में वनदेवी की पूजा करने चले जाते हैं। इस दौरान गांव में कोई भी नहीं होता ये लोग सूर्योदय से पहले ही अपने घर से निकल जाते हैं और सूर्यास्त होने तक जंगल में वनदेवी की पूजा करते हैं।
पूरा गांव पूरे एक दिन जंगल में रहता है और प्राकृतिक विपदा से रक्षा के लिए प्रार्थना करता है। मवेशियों को जंगल में चरने के लिए छोड़ दिया जाता है और महिलाएं प्रसाद बनाने का कार्य करती हैं। गांव के पुरुष माता की पूजा करते हैं। वनवास के दौरान गांव से सभी लोग माता को चढ़ाए गये प्रसाद को खाकर ही रहते हैं, इसके अलावा वो कुछ और नहीं खाते हैं।
पूरा गांव एक दिन के लिए जाता है वनवास पर –
गांव के लोग वनदेवी की पूजा के लिए जंगल जाते हैं उस दौरान सभी घरों के दरवाजे खुले होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिन गांव में वनदेवी आती हैं। इस दौरान घर में रहना अपशकुन होता है। गांव के सरपंच विक्रम महतो बताते हैं कि दो-तीन सौ साल पहले इस गांव के कई लोग हैजा और प्लेग के कारण मर गये थे, उसके बाद से ही ये परंपरा चली आ रही है।
सरपंच बताते हैं कि पूर्वजों के मुताबिक कुछ लोगों ने गांव में चोरी करने की कोशिश की, लेकिन उनकी आंखों की रोशनी चली गई। इस डर से यहां कोई आसपास भी कोई नहीं भटकता। उन्होंने आगे कहा कि वनवास की यह परंपरा धार्मिक आस्था से जुड़ी है, जिसको सदियों से माना जा रहा है।