शाहीन बाग में धरना देने वाले लोगों की संख्या में आई गिरावट, उठने के के लिए तलाश रहें हैं रास्ता
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे धरने में शामिल होने वाले लोगों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है। करीब दो महीने से चल रहे इस धरने में बैठने वाले लोगों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मिलने का न्यौता दिया गया था और अपनी बात रखने को कहा गया था। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने ये दावा किया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दो या तीन नहीं बल्कि धरने पर बैठे पूरे लोग जाएंगे और अपनी बात उनके सामने रखेंगे। प्रदर्शनकारियों का ये दावा था कि रविवार को अमित शाह के पास करीब 5000 लोग पहुंचेगे। हालांकि बाद में महज 300-400 लोग ही इकट्ठा हो पाए थे।
गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले लोगों से मिलने की पेशकश की थी। जिसके बाद शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस को एक पत्र लिखकर गृह मंत्री के आवास तक जाने की अनुमति मांगी थी और रविवार को करीब 300 से अधिक लोग शाह के आवास पर जाने को निकले थे। लेकिन पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों को बीच में ही रोक लिया था और इनकी मुलाकात अमित शाह से नहीं हो पाई थी। पुलिस का कहना था कि इन लोगों को अनुमति नहीं दी गई थी।
शाहीन बाग में दिए जा रहे इस धरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई सारी याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं और इन याचिकाओं की सुनवाई अभी जारी है। लेकिन कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान ये चीज साफ तौर से कही थी कि अगर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व एनआरसी के खिलाफ धरना देना है तो प्रदर्शनकारी सार्वजनिक जगह पर बैठने की जगह धरने वाली जगहों पर जाकर बैठे।
शाहीन बाग में चल रहे धरने के कारण इस इलाके की दुकाने दो महीने से बंद है और लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ में ही यातायात पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जिस जगह पर धरना दिया जा रहा है, वहां पर 100 से ज्यादा बड़े ब्रांड के शोरूम हैं और धरने के समय से ये शोरूम बंद पड़े हैं। इसके अलावा कालिंदी कुंज से जामिया नगर थाने जाने वाले मार्ग पर बनीं दुकानें भी बंदी की कगार पर हैं। दो महीने से कई रास्ता भी बंद हैं और लोगों को नोएडा, फरीदाबाद आने जाने में परेशानी हो रही है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के पास होने के कुछ समय बाद हजारों की संख्या में लोग शाहीन बाग में इकट्ठा होने लगे थे और इस कानून और एनआरसी को वापस लेने की मांग कर रहे थे। दिसंबर के महीने से धरना दे रहे इन लोगों को खूब समझाया गया था। लेकिन ये अपनी जिद पर ही अड़ हैं। वहीं बीजेपी पार्टी की और से ये आरोप भी लगाया गया था कि इस धरने में बैठने वाले लोगों को पैसे दिए जा रहे हैं और पैसों के लालच में आकर ये लोग धरना दे रहे हैं।