ये है मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि, पूरी दुनिया हो गई हैरान! – आखिर ऐसा क्या हुआ?
नई दिल्ली – बेरोजगारी और जनसंख्या ऐसी दो समस्याएं है जो विकसित एवं अल्पविकसित दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जंजीर के जैसे हैं, आगे ही नहीं बढ़ने देती। बेरोजगारी और जनसंख्या कि खास बात यह है कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। यानि अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो बेरोजगारी भी बढ़ेगी। यानि देश पर दोहरा बोझ बढ़ेगा अर्थव्यवस्था डवाडोल होगी। और भारत में दोनों ही अपने चरम पर हैं। ऐसे में देश कि प्रगति कैसे हो सकती है। लेकिन हां इसके लिए मोदी सरकार केन्द्र में आने के बाद से लगातार प्रयास कर रही है, जिसका उदाहरण हम नोटबंदी के रुप में देख चुके हैं। बेरोजगारी आधुनिक समय में युवावर्ग के लिये घोर निराशा का कारण बनी हुई है। Indias unemployment rate drops.
भारत में 12 करोड़ लोग बेरोजगार –
भारत में खासकर युवा तबके में दिन प्रति दिन बढ़ती बेरोजगारी गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार देश की आबादी के लगभग 11 फीसदी यानि 12 करोड़ लोगों को नौकरियों की तलाश है यानि वे बेरोजगार हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि इनमें पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है। इन बेरोजगारों में 25 फीसदी युवा 20 से 24 आयुवर्ग के हैं। 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवाओं की संख्या 17 फीसदी है। 20 साल से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है। विशेषज्ञों का मानना है कि बेरोजगारी का लगातार बढ़ता यह आंकड़ा सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
एसबीआई इकोफ्लैश की रिपोर्ट, 50% कम हो गई बेरोजगारी –
बेरोजगारी और मोदी सरकार पर लगातार उठते सवालों के बीच एसबीआई इकोफ्लैश की रिपोर्ट ने आशा की एक नई किरण दिखा दी है। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2016 के 9.5 प्रतिशत से घटकर फरवरी 2017 में 4.8 प्रतिशत पर आ गई। देश के प्रमुख राज्यों में बेरोजगारी दर में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2016 से फरवरी 2017 के दौरान उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की दर 17.1 प्रतिशत से घटकर 2.9 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 10 प्रतिशत से 2.7 प्रतिशत, झारखंड में 9.5 प्रतिशत से 3.1 प्रतिशत, ओडिशा में 10.2 प्रतिशत से 2.9 प्रतिशत और बिहार में 13 से 3.7 प्रतिशत पर आ गई है।
इस रिपोर्ट को भारतीय स्टेट बैंक समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष की अगुवाई वाली अनुसंधान टीम ने तैयार किया है। जिसमें कहा गया है कि, ‘बेरोजगारी दर में यह गिरावट प्राथमिक तौर पर सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की वजह से हुई है।’