गौतम बुद्ध एक दिन उपदेश दे रहे होते हैं,तभी उनका एक शिष्य उनसे उपदेश देने का मकसद पूछने लगता है
गौतम बुद्ध एक दिन अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे होते हैं। तभी एक शिष्य खड़ा होकर गौतम बुद्ध से एक सवाल करता है और कहता है कि, आप क्यों उपदेश दिया करते हैं? उपदेश देने के पीछे आपका क्या मकसद होता है ? गौतम बुद्ध अपने शिष्य के सभी सवाल सुनने के बाद बोलते हैं, मैं इसलिए उपदेश देता हूं, ताकि लोगों को सही राह दिखा सकूं और लोगों को सही और गलत के बीच का फर्क पता चल सके। मेरे उपदेश सुनने के बाद कई लोगों को शांति मिलती है और वो अपने जीवन में सही निर्णय ले पाते हैं।
गौतम बुद्ध का जवाब सुनने के बाद शिष्य कहता है, अगर ऐसा ही है तो जो लोग आपके उपदेश सुनने आते हैं। उनमें से केवल कुछ ही लोगों को शांति क्यों मिल पाती है। आपका उपदेश सुनने वाला हर व्यक्ति सही राह पर क्यों नहीं चल पाता है।
शिष्य का ये सवाल सुनने के बाद गौतम बुद्ध अपने शिष्य से एक सवाल करते हैं और पूछते हैं, अगर तुम किसी जंगल में जा रहे हो और उस जंगल में तुम्हें एक व्यक्ति मिल जाए। जो तुमसे राज महल का रास्ता पूछे तो तुम क्या करोंगे। शिष्य एकदम से कहता है, मैं उसे सही रास्ता बता दूंगा ताकि वो अपनी मंजिल तक पहुंच सके। गौतम बुद्ध ये जवाब सुनने के बाद कहते हैं, अगर तुम्हारे रास्ता बताने के बाद भी वो व्यक्ति गलत राह चुन ले तो ?
शिष्य गौतम बुद्ध से कहता है, मेरा काम सिर्फ उसे सही रास्ता बताने का है। उस रास्ते पर चलना या ना चलना उस व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है। अगर सही रास्ता बताने के बाद भी वो व्यक्ति गलत राह ही चुनता है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं।
गौतम बुद्ध हंसते हुए कहते हैं, तुम्हारे सवालों का यही जवाब है। जो तुमने अभी मुझे दिया है। मैं सिर्फ लोगों का मार्गदर्शन ही कर सकता हूं। मेरे बताए गए उपदेशों के जरिए में लोगों को सही राह दिखता हूं। जो लोग मेरे उपदेशों का पालन करते हैं और सही राह चुनते हैं वो शांत रहते हैं और जीवन में सफल हो जाते हैं। वहीं जो लोग मेरे उपदेश सुनने के बाद भी गलत राह पर ही चलते हैं। उसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं सिर्फ लोगों को सही-गलत ही बता सकता हूं। निर्णय लेने का अधिकार केवल लोगों के पास ही होता है कि वो क्या करना चाहते हैं।
गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर शिष्य को समझ आ जाता है कि गौतम बुद्ध उपदेश देकर लोगों को सही राह दिखाते हैं। उस राह पर चलना या ना चलना लोगों के हाथ में ही होता है। जो लोग उपदेशों के जरिए दिए गए संदेश का पालन करते हैं वो लोग शांत और सुखी रहते हैं। जबकि जो लोग उपदेश सुनने के बाद भी उनका पालन नहीं करते हैं वो दुखी रहते हैं।
कथा की सीख- सही रास्ता बताए जाने का बाद उस रास्ते पर चलने या न चलने का निर्णय हमारे हाथ में ही होता है।