अमेरिका में एक और भारतीय पर हमला, एक सिख को मारी गोली, हमलावर ने कहा- अपने देश चले जाओ!
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोगों के खिलाफ नस्लीय हमलों की घटनाएं लगातार बढती जा रही है. अमेरिका में एक अज्ञात व्यक्ति ने 39 वर्षीय एक सिख को उसी के घर के बाहर गोली मारकर घायल कर दिया. हमलावर ने गोली मारने के बाद कहा, अपने देश वापस जाओ. हमलावर की तलाश जारी है. घायल सिख वॉशिंगटन स्टेट के केंट शहर में रहता है.
संदिग्ध व्यक्ति ने ‘‘अपने देश वापिस जाआे’ जैसी बातें कहीं :
एक अखबार की खबर के मुताबिक, यह सिख व्यक्ति शुक्रवार को वाशिंगटन राज्य के केंट शहर स्थित अपने घर के बाहर अपना वाहन ठीक कर रहा था, तभी वहां एक अज्ञात व्यक्ति आ गया. केंट पुलिस ने कहा कि दोनों व्यक्तियों के बीच कहासुनी हुई. पीड़ित का कहना है कि संदिग्ध व्यक्ति ने ‘‘अपने देश वापिस जाआे’ जैसी बातें कहीं. इसके बाद अज्ञात व्यक्ति ने पीड़ित की बाजू में गोली मार दी. ज़ख़्मी दीप राय ने हमला करने वाले का हुलिया बताते हुए कहा की वह आदमी लगभग छह फ़ीट लंबा अमरीकी था और उसने अपना चेहरा मास्क से ढका हुआ था.
व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी शीन स्पाइसर ने कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यहूदियों और अन्य किसी के भी खिलाफ होने वाले घृणित हमलों की कड़ी निंदा करते हैं. उनका यह बयान फिलेडेल्फिया में यहूदियों के कब्रिस्तान को तबाह करने और कांसस में भारतीय नागरिक की हत्या के बाद आया था लेकिन ऐसा लग रहा है कि इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है. हिलेरी क्लिंटन ने भी भारतीय मूल के श्रीनिवास कूचिभोतला की हत्या की निंदा की थी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से भी आव्हान किया था.
कंसास में नस्लभेदी हिंसा की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि अब एक और भारतीय मूल के व्यक्ति की अमेरिका में गोली मार कर हत्या कर दी गयी. गुरुवार रात को दक्षिण अमेरिका के लैंकेस्टर काउंटी में व्यवसायी हरनिश पटेल को उनके घर के बाहर ही हत्या कर दी गयी. घटना के नौ दिन पहले ही अमेरिका के कंसास में भारतीय मूल के एक इंजीनियर को गोली मार दी गयी थी, जिसके बाद उसकी मौत हो गयी थी. 43 साल के हरनिश , लैंकेस्टर काउंटी में एक स्टोर के मालिक थे. आपको बता दें कि इस तरह की हिंसा में नौ दिन में दो भारतीय लोगों की जान जा चुकी है.
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही गैर अमेरिकियों पर इस तरह का संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा था. इसका जिक्र खुद पेप्सीको की चेयरपर्सन इंदिरा नूई एक बार सार्वजनिक तौर पर किया था. उनका कहना था कि जब उनके बच्चों ने उनसे इस बाबत सवाल किया कि अब यहां पर रहना सुरक्षित नहीं है.