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कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की सेहत गंभीर, घाटी में हाई अलर्ट

जम्मू और कश्मीर राज्य इस समय हाई अलर्ट पर हैं. इसकी वजह कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की नाजुक सेहत हैं. ‘द ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद से एक स्टेटमेंट जारी किया हैं. उन्होंने इमामों और मुस्लिम लोगो से विनती की हैं कि यदि गिलानी की तबियत और ज्यादा बिगड़ती हैं और उनका निधन हो जाता हैं तो सभी अंतिम संस्कार के लिए श्रीनगर की ईदगाह में एकत्रित हो जाए. हालाँकि नई दिल्ली के सरकारी सूत्रों का कहना हैं कि गिलानी की हेल्थ कंडीशन सीरियस लेकिन स्थिर हैं.

बता दे कि पिछले शुक्रवार कुछ रिपोर्ट्स ये दावा कर रही थी कि 90 साल के गिलानी का देहांत हो गया हैं. हालाँकि बाद में उनका बेटा नसीम गिलानी सामने आया और बताया कि मेरे पिता के निधन की ख़बरें अफवाह मात्र हैं. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि फिलहाल सैयद अली शाह गिलानी की तबियत स्थिर हैं. हुर्रियत के द्वारा जारी किए गए दो पेज के स्टेटमेंट में इस बात का जिक्र भी हैं कि सैयद गिलानी की अंतिम इच्छा हैं कि उनके शरीर को श्रीनगर ईदगाह की मजार – ए – शुहादा में ही दफनाया जाए. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हुर्रियत का हिंदी में मतलब ‘आजादी’ होता हैं.

मुजफ्फराबाद और इस्लामाबाद में बेस्ड हुर्रियत ने कश्मीर के लोगो से अपील करी हैं कि वे जरूरत पड़ने पर गिलानी को सम्मान देने के लिए उनके निधन में अवश्य शरीक हो. न्यूज़ एजेंसी IANS के अनुसार श्रीनगर के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि ‘घाटी में गिलानी की हेल्थ कंडीशन को लेकर कुछ अफवाहें फ़ैल रही थी. कल रात तक तो कोई भी प्रतिकूल खबर नहीं मिली हैं. हालाँकि हम सिचुएशन पर नजर जमाए हुए हैं.’


हुर्रियत द्वारा जारी की गए स्टेटमेंट में ये भी बताया गया कि गीलानी को चेस्ट इन्फेक्शन हो गया हैं. उन्हें जो दवाइयां दी जा रही हैं वो इस इन्फेक्शन पर असर नहीं कर रही हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गीलानी हुर्रियत का सबसे सीनियर लीडर माना जाता हैं. इसके पहले वो जमात – ए – इस्लामी कश्मीर का सदस्य भी था. इसके बाद उसने अपनी खुद की पार्टी तहरीक – ए – हुर्रियत बना ली थी. कश्मीर का ये सीनियर अलगाववादी नेता हुर्रियत कांफ्रेंस का चेयरमैन भी रह चूका हैं. बता दे कि हुर्रियत कांफ्रेंस जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठनों की एक मंडली हैं. वैसे गीलानी ने राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया था. वो साल 1972, 1977 और 1987 में सोपोर विधानसभा क्षेत्र से एमएलए बना था.

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