अपनी दादी के बेहद ही करीब थे रतन टाटा, आज भी उनकी दी गई इस सीख का करते हैं पालन
टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) का नाम दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिना जाता है। टाटा ग्रुप आज जिस ऊंचाई पर है उसके पीछे रतन टाटा का ही हाथ है। रतन टाटा अपनी इस कामयाबी का सारा श्रेय अपनी दादी को देते हैं। रतन टाटा के अनुसार उनकी दादी के कारण ही आज वो इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं। रतन टाटा का बचपन आम बच्चों की तरह नहीं थी। माता पिता के तलाक के बाद रतन टाटा को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था और इन परेशानियों का सामना करने के लिए रतन टाटा को उनकी दादी ने हिम्मत दी थी।
82 वर्षीय रतन टाटा के अनुसार जब उनकी मां ने दूसरी शादी की थी तो उस समय स्कूल के अन्य लड़के उन्हें काफी कुछ कहा करते थे। लेकिन उन्होंने कभी भी स्कूल के बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। रतन टाटा अपनी दादी के बेहद ही करीब थे। रतन टाटा के मुताबिक उनकी दादी ने उन्हें एक सीख दी थी। जिसका पालन वो आज भी करते हैं। उनकी दादी ने उनसे कहा था कि हर कीमत पर अपनी गरिमा बनाए रखें और अभी भी रतन टाटा अपनी दादी की बोली गई इस बात का पालन करते हैं।
सोशल मीडिया आधारित ग्रुप ह्यूमन ऑफ बॉम्बे ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में रतन टाटा से जुड़ी ये तमाम बताते लिखी हैं। ह्यूमन ऑफ बॉम्बे के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रतन टाटा की दादी उनको और उनके भाई को गर्मियों की छुट्टियां बिताने के लिए लंदन लेकर गई थी। लंदन में उनकी दादी ने उनको और उनके भाई को एक सीख दी थी और कहा था कि अपनी गरिमा को बनाएं रखने के लिए शांत रहना चाहिए। दादी की बोली गई ये बात आज भी रतन टाटा को याद है और आज भी दादी की इस सीख पर चलने की कोशिश करते हैं।
पिता के साथ थे मतभेद
रतन टाटा ने अपने पिता नवल टाटा से जुड़ी यादें शेयर करते हुए कहा कि उनके पिता के साथ उनका रिश्ता एक समय पर काफी परेशानियों भरा था और उनकी राय अपने पिता से बेहद ही अलग होती है। रतन टाटा के अनुसार, ये कहना मुश्किल है कि हम में से कौन सही था या गलत। हम लोगों की सोच बेहद ही अलग थी । मैं वायलिन बजाना सीखना चाहते थे लेकिन मेरे पिता पियानो पर जोर देते थे। मैं एक अमेरिकी कॉलेज में जाना चाहते थे लेकिन मेरे पिता ने ब्रिटिश कॉलेज पर जोर दिया। इसी तरह से मेरे सपना आर्किटेक्चर बनने के था लेकिन पिता चाहते थे कि मैं इंजीनियर की पढ़ाई करूं।
होते-होते रह गई शादी
रतन टाटा के अनुसार जब वो अमेरिका में थे तब एक दिन उनकी दादी का फोन आया और उनकी दादी ने उन्हें भारत आने को कहा। दरअसल उनकी दादी उनकी शादी करवाना चाहती थी। लेकिन उस समय भारत और चीन का युद्ध चल रहा था। जिसकी वजह से वो भारत नहीं आ सकें और उस लड़की की शादी हो गई।
मजदूरों के संग किया काम
अपने पिता का व्यापार संभालने से पहले रतन टाटा ने अपनी कंपनी के मजदूरों के संग काम किया था। ताकि वो ये समझ सकें की कंपनी खड़ी करने में कितनी मेहनत लगती है।
कमाई का 65 फीसदी हिस्सा देते हैं दान
28 दिसंबर 1937 को जन्में रतन टाटा अपनी कंपनी की कमाई का 65 फीसदी हिस्सा दान दिया करते हैं और गरीब लोगों की मदद करते हैं। जिसकी वजह से ये दुनिया के सबसे प्रसिद्ध व्यापारियों में गिने जाते हैं।