अरुणांचल के तवांग पर चीन के दावे के प्रस्ताव को भारत ने दिखाया ठेंगा!
आप तो जानते ही हैं कि भारत के ऊपर बुरी नज़र रखने वालों की कमी नहीं है। इसमें सबसे पहले पाकिस्तान है और उसके बाद चीन है। जो भारत के कई इलाकों को अपने कब्जे में करने की फिराक में लगा हुआ है। अभी हाल ही में सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में अरुणांचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र पर चीन ने अपने दावे किये और भारत के सामने इसे स्वीकारने का प्रस्ताव रखा। भारत को यह बात नागवार गुज़री और उसने चीन को ठेंगा दिखाते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
सीमा को लेकर भारत नहीं करेगा चीन से कोई समझौता:
सूत्रों से पता चला है कि सरकार की राय इस मामले पर पहले की ही तरह है और इसमें अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। यानी भारत चीन के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करने वाला है, खासतौर से सीमा को लेकर। आपको बता दें भारत और चीन के सीमा विवाद के निराकरण के लिए चीन के पूर्व विशेष प्रतिनिधि दाई बिंगुओ ने भारत-चीन डायलाग मैगज़ीन में दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि अगर भारत चीन के साथ पूर्वी सीमा विवाद पर ध्यान देगा तो चीन भी भारत की किसी समस्या के बारे उसकी मदद करेगा और उसकी चिंताओं पर ध्यान देगा।
तवांग क्षेत्र का है धार्मिक महत्व:
आपको बता दें दाई इस मामले को लेकर भारत के पाँच विशेष प्रतिनिधियों से पहले ही बात कर चुके हैं। दाई ने सीमा विवाद के बारे में 2003 में ब्रिजेश मिश्रा के साथ बात की थी, जिसके परिणाम स्वरुप 2005 में सीमा विवाद से जुड़े हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किये गए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि अरुणांचल प्रदेश में स्थित तवांग का धार्मिक महत्व भी है।
तवांग पर पहले से ही है चीन की बूरी नज़र:
15 वीं सदी के दलाई लामा का जन्म यहीं हुआ था और यहाँ पर एक मठ भी है। जिसका भारत और तिब्बत के साथ दुनियाँ के सभी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ख़ास महत्व है। तवांग पर चीन की बुरी नज़र काफी पहले से ही है। चीन ने तो इसे दक्षिणी तिब्बत भी करार दे दिया है। दाई की बातें सुनकर ऐसा लगता है कि वह यह कहना चाहते हैं कि अगर भारत उन्हें तवांग क्षेत्र दे देता है तो चीन भी अक्साई चीन के हिस्से को भारत को देने के बारे में विचार कर सकता है।