9 फरवरी को है माघी पूर्णिमा, इस दिन रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए धरती पर आते हैं देवी-देवता
माघ पूर्णिमा के दिन देवी-देवता स्वयं धरती पर आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। जिसकी वजह से इस पूर्णिमा को बेहद ही शुभ माना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से, चीजों का दान देने से और विष्णु जी का पूजा करने से पुण्य हासिल होता है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 9 फरवरी को आ रही है। माघ मास की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और माघ पूर्णिमा से जुड़ी एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु धरती पर आकर गंगा नदी में वास करते हैं। जिसकी वजह से माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का महत्व और बढ़ जाता है।
प्रयागराज में आयोजित होते हैं विशेष कार्यक्रम –
माघ पूर्णिमा के दिन प्रयागराज में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और देश भर से लोग प्रयागराज आकर गंगा स्नान करते हैं। प्रयागराज में माघ पूर्णिमा से एक महीने पहले ही कल्पवास शुरू होता है जो कि माघ पूर्णिमा के दिन तक चलता है।
माघ पूर्णिमा के दिन करें ये कार्य
- माघ पूर्णिमा के दिन पितरों की पूजा करने से और तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है। इसलिए आप अपने पितरों को शांत करने के लिए इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और पितरों के लिए पूजा करें।
- माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन जरूर करें और हो सके तो स्नान के बाद पीले रंग के ही वस्त्र धारण करें।
- पूजा करने के बाद गरीबों को दान जरूर करें। इस दिन गरीबों को दान करने का विशेष महत्व होता है। आप कपड़े, कंबल, तिल, गुड़, घी, फल और अन्न चीजों का दान कर सकते हैं।
- कई लोगों द्वारा माघ पूर्णिमा पर व्रत भी रखा जाता है। ये व्रत रखने से शुभ फल मिलता है और हर कामना पूरी हो जाता है।
माघ पूर्णिमा का क्या है महत्व ?
ग्रंथों में माघ पूर्णिमा के बारे में उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि इस दिन देवता मनुष्य बनकर धरती पर आते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं। जिसकी वजह से इस दिन गंगा स्नान करने का महत्व और बढ़ जाता है। साथ में ही इस दिन गंगा स्नान करने से विष्णु जी की कृपा भी बन जाती है।
इस तरह से करें व्रत
- माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से हर कामना पूरी हो जाती है। अगर आप माघ पूर्णिमा का व्रत रखते हैं तो इस दिन केवल एक बार ही फलाहार करें। ये फलाहार आप शाम के समय पूजा करने के बाद करें।
- व्रत के दौरान मन में बुरे विचार ना लाएं और गुस्सा ना करें। इस दिन शांत रहें और अपना मन पूजा में ही लगाएं। साथ में ही घरेलू कलह से बचें।
- अगले दिन सुबह स्नान कर पूजा करें और अपना ये व्रत तोड़ दें। हो सके तो ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद ही व्रत को तोड़े। साथ में ही ब्राह्मणों को कपड़े भी दान में दें।