हमेशा मधुर शब्द ही बोलें, क्योंकि कड़वे शब्दों के कारण दूसरों के मन को ठेस पहुंच सकती है
मुंह से निकले कड़वे शब्द लोगों के मन को ठेस पहुंचा देते हैं। इसलिए हमेशा मधुर वाणी में ही लोगों से बात करनी चाहिए। अक्सर गुस्से में आकर लोग अपने शब्दों पर ध्यान नहीं देते हैं और कुछ भी बोल देते हैं। जिससे की सामने वाले का दिल दुख जाता है। इस विशेष के संबंध से एक लोक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक सेठ लोगों के साथ बुरी तरह से बात करता था और हमेशा कड़वे शब्दों का ही प्रयोग करता था। इस सेठ की पत्नी ने कई बार सेठ को समझाने की कोशिश की कि बात करते समय कठोर शब्दों का प्रयोग ना करें। लेकिन फिर भी इस सेठ के व्यवहार में कोई भी सुधार नहीं आया और सेठ के इस व्यवहार के चलते रिश्तेदारों ने सेठ के घर भी आना बंद कर दिया।
अपने पति के इस व्यवहार से दुखी होकर सेठ की पत्नी एक संत के पास जाती है और संत को बताती है कि किस तरह से उसका पति औरों से बात करते हुए कठोर शब्दों का प्रयोग करता है। जिसकी वजह से कई लोगों का दिल दुख जाता है। सेठ की पत्नी की पूरी बात सुनने के बाद संत कहता है, एक कम करो कल तुम अपने पति को अपने साथ मेरा पास लाना। मैं भी देखना चाहता हूं कि वो कितने कठोर और कड़वे शब्दों का प्रयोग करता है।
संत की बात को मानते हुए सेठ की पत्नी अगले दिन सेठ को आश्रम ले आती है। आश्रम में सेठ संत के सामने ही अपनी पत्नी से लड़ने लग जाता है और कठोर शब्दों का प्रयोग करता है। संत शांत मन से सेठ की सारी बाते सुनता है। जब सेठ शांत हो जाता है तो संत एक गिलास दूध सेठ को पीने के लिए देता है। सेठ दूध पीते ही संत से कहता है, ये दूध कड़वा है। मैं इसे नहीं पी सकता है।
संत सेठ से बोलता है, क्या आपको भी इस चीज का अनुभव है कि कड़वे का स्वाद कैसा होता है। क्योंकि जिस तरह से आप अपनी पत्नी से बात कर रहे थे। उसको सुनकर मुझे नहीं लगा की आपको इस बात का अहसास होगा की कड़वा किसे कहते हैं। अगर आपको कड़वे का स्वाद पता होता तो लोगों से बात करते हुए आप कड़वे शब्द नहीं बोलते। जब आप ये कड़वा दूध ही नहीं पी पा रहे हैं, तो सोचें की लोग आपके मुंह से निकली कड़वी बातों को किस प्रकार सुन पाते होंगे।
सेठ को संत की बात समझ आ जाती है और सेठ संत से वादा करता है कि वो कभी भी कठोर और कड़वे शब्दों का प्रयोग नहीं करेगा और लोगों से प्यार से ही बात करेगा।
कथा की सीख
बोलते समय कठोर और कड़वे शब्दों की जगह मुधर शब्दों का ही प्रयोग करें। क्योंकि ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से दूसरे लोगों के मन को ठेस पहुंच सकती है।