शादी का जोड़ा पहन परीक्षा हॉल में घुसी दुल्हन, स्टूडेंट हैरान परेशान
कई लड़कियां शादी करने की जल्दी इसलिए नहीं करती हैं कि उन्हें पढ़ाई या करियर के छूट जाने का डर सताता हैं. हम और आप भी कई बार देख या सुन चुके हैं कि कैसे शादी की वजह से फलाना लड़की की पढ़ाई अधूरी रह जाती हैं. ऐसा ही कुछ हाल बेंगलुरु में रहने वाली 24 वर्षीय हर्षिता का भी होने जा रहा था. हर्षिता एम.कॉम की तैयारी कर रही हैं. उसे तीसरे सेमस्टर की परीक्षा भी देना था. हालाँकि हर्षिता की परीक्षा की तारीख और शादी की तारीख एक ही दिन आ गई थी. ऐसे में उनके सामने दुविधा थी कि वो परीक्षा दे या शादी करे. परिवार के दबाव के चलते हर्षिता ने तो यह फैसला कर लिया था कि वो परीक्षा नहीं देगी और शादी ही कर लेगी. हालाँकि बाद में कुछ ऐसा हुआ कि ‘सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी.’ कहने का तात्पर्य हैं कि हर्षिता के दोनों काम राजी ख़ुशी हो गए.
हुआ ये कि जब बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को इस बात की भनक लगी कि उनकी होनहार स्टूडेंट शादी की वजह से परीक्षा देने में असमर्थ हैं तो उन्होंने एक बहुत ही अच्छा समाधान खोज निकाला. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एवं प्रोफेसर ने हर्षिता को प्रेरित किया कि वो अपनी परीक्षा जरूर दे. उन्होंने उसे आश्वाशन दिया कि वो शादी वाले दिन भी बेझिझक परीक्षा देने आ सकती हैं. फिर जब परीक्षा और शादी की तारीख आई तो हर्षिता ने पहले सात फेरे लिए और फिर दुल्हन का जोड़ा पहने ही परीक्षा हॉल में जाकर बैठ गई. हर्षिता को यूं अचानक शादी के जोड़े में बैठ पेपर लिखता देख वहां मौजूद सभी स्टूडेंट हैरान रह गए. हर्षिता इस परीक्षा को देने के लिए पुरे 10 मिनट लेट पहुंची थी.
बेंगलुरु यूनिवर्सिटी’ में प्रोफेसर और रजिस्ट्रार डॉ. सी शिवाराजू सेने बताते हैं कि हर्षिता को इसी बात का डर था कि वो शादी की वजह से समय पर परीक्षा देने नहीं पहुँच पाएगी. ऐसे में मैंने हर्षिता को विश्वास दिलाया कि मैं उस दिन परीक्षा केंद्र पर ही मौजूद रहूँगा. मेरी पूरी यही कोशिश रहेगी कि तुम हर हाल में अपनी एग्जाम दो. यूनिवर्सिटी के सपोर्टिंग प्रोफेसर की बदौलत हर्षिता अपनी एग्जाम देने में सफल रही. हर्षिता को उम्मीद हैं कि वो अच्छे अंको से इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लेगी.
हर्षिता की तरह ही देश में न जाने कितनी ऐसी लड़कियां हैं जो शादी के कारण अपने करियर या एजुकेशन के साथ समझौता करती हैं. ऐसे में ये हम सभी का फर्ज बनता हैं कि जब भी हम किसी लड़की को इस तरह की दुविधा में फंसा देखे तो उसकी मदद को आगे आ जाए. लड़कियां भले शादी कर ले लेकिन उनकी पढ़ाई या नौकरी नही छूटनी चाहिए. इसके लिए ससुराल पक्ष को थोड़ा खुली सोच का होना पड़ेगा. साथ ही लड़की के माता पिता की भी ये जिम्मेदारी हैं कि वो सुनिश्चित कर ले कि उनकी लाडली बेटी को शादी के बाद अपने करियर या एजुकेशन के साथ कोई कंप्रोमाइज नहीं करना पड़ेगा. वैसे इस पुरे मामले पर आपकी क्या राय हैं हमें जरूर बताए.