शुगर मिल के इंस्पेक्टर को मिली यादगार विदाई, 500 किसानों ने मिलकर गिफ्ट किया लाखों का सामान
किसी आदमी का व्यवहार ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है। उसका व्यवहार ही उसका सबसे बड़ा धन होता है। यह उसका व्यवहार ही होता है, जिसकी वजह से उसकी अपने परिवार में, अपने समाज में और अपने दोस्तों के बीच पूछ होती है। इसी व्यवहार की वजह से किसी व्यक्ति का आगे का जीवन भी निर्धारित होता है। हरियाणा में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है, जहां सोनीपत में 500 किसानों ने मिलकर हाल ही में शुगर मिल के एक इंस्पेक्टर को ऐसी विदाई दी है कि यह उनके लिए यादगार बन गया है।
लाखों के उपहार
जी हां, शुगर मिल के इंस्पेक्टर महाबीर सिंह आंतिल के रिटायरमेंट को इन किसानों ने मिलकर एक ऐसा यादगार क्षण उनके जीवन का बना दिया है, जिसे वे कभी भी भूल नहीं पाएंगे। करीब 500 किसानों ने मिलकर उन्हें न केवल एक कार भेंट की, जो कि 15 लाख रुपये मूल्य की थी, बल्कि उन्होंने मिलकर इंस्पेक्टर को ढाई लाख रुपये की बुलेट भी साथ में भेंट की। यही नहीं 10 लाख रुपये की माला के साथ हुक्का देकर भी उन्होंने रिटायर हो रहे इंस्पेक्टर का सम्मान किया।
विधायक ने छोड़ा घर
इस दौरान बड़ी संख्या में किसान तो जमा हुए ही थे, साथ में राई क्षेत्र के विधायक मोहनलाल बड़ौली भी आए हुए थे। उन्होंने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर इंस्पेक्टर महाबीर सिंह आंतिल का सम्मान किया। इसके बाद अपनी कार में उन्हें बिठाकर वे सम्मान स्वरूप उनके घर छोड़ने के लिए भी गए। इसे देखकर इंस्पेक्टर के घर वाले भी अभिभूत हो गए।
दोस्ताना व्यवहार
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस इंस्पेक्टर को इन किसानों ने इतना बड़ा सम्मान दिया? तो आपको बता दें कि महाबीर सिंह आंतिल ने जो अपनी सेवानिवृत्ति के दौरान यह सम्मान हासिल किया, इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह रही है। उन्होंने 35 वर्षों तक शुगर मिल के इंस्पेक्टर के रूप में सेवा दी। उसके बाद वे रिटायर हुए। शुगर मिल में सुपरवाइजर के तौर पर जब वे नियुक्त थे तो उन्होंने अपने शानदार व्यवहार की वजह से किसानों का दिल जीत लिया। उनका व्यवहार हमेशा से किसानों के साथ दोस्ताना रहा। उनके सुख-दुख में हमेशा उनके साथ रहे। यही वजह रही कि किसानों ने उनके विदाई समारोह को भव्य तरीके से मनाने का फैसला कर लिया।
उपहार लेने से किया था मना
इस मौके पर संबोधित करते हुए महाबीर सिंह आंतिल ने कहा कि जो कुछ भी हुआ है सब किसान भाइयों के आशीर्वाद की वजह से है। उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकारी नौकरी जरूर की, लेकिन इस दौरान उन्होंने कभी भी समय की परवाह नहीं की। किसानों ने जो उन्हें इतनी सारी चीजें भेंट की हैं, वे इन्हें नहीं लेना चाह रहे थे। उन्होंने इन चीजों को लेने से मना कर दिया था, मगर किसान एकदम नहीं माने। महावीर सिंह ने कहा कि ऐसे वक्त में उन्होंने मुझे ये सारी चीजें भेंट की हैं, जब केवल इस गांव के ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव के भी 500 से ज्यादा किसान और अधिकारी यहां मौजूद हैं।
निलंबन भी झेला
दरअसल महाबीर सिंह आंतिल ने एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर अपना काम हमेशा पूरी इमानदारी से किया। वे बताते हैं कि जब भी मिल में कोई भी तकनीकी खराबी आती थी तो वे किसानों को तुरंत अलर्ट कर देते थे। वे किसानों से कहते थे कि वे गन्ना लेकर कुछ दिन नहीं आएं। यही नहीं, जब यह तकनीकी खराबी ठीक हो जाती थी तो इसकी भी सूचना वे किसानों को दे दिया करते थे। इस तरह से किसानों का कभी नुकसान नहीं होता था। साथ ही इस कारण से किसान उनके साथ हमेशा जुड़े रहे। वे बताते हैं कि पूरे कार्यकाल के दौरान दो मौके ऐसे भी आए, जब उन्हें सेवा से निलंबित भी किया गया। महाबीर सिंह आंतिल के मुताबिक ऐसे वक्त में किसानों का उन्हें हमेशा साथ मिला। दोनों ही बार वे बेदाग साबित हुए और अपनी नौकरी उन्होंने फिर से जारी रखी।
जीत लिया दिल
इस तरह से महाबीर सिंह आंतिल ने न केवल 35 वर्षों तक सरकारी नौकरी करके अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वाह किया, बल्कि इस दौरान उन्होंने किसानों के हितैषी के तौर पर भी काम करके अपने व्यवहार से उनका दिल जीत लिया। इसी का नतीजा रहा कि जब वे 35 वर्षों की लंबी सेवा के बाद रिटायर हुए तो किसानों ने उन्हें लाखों की कार, बुलेट और हुक्का तक गिफ्ट कर दिया।
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