सालों पहले किताबें बेचने के लिए मजबूर था बॉलीवुड का लॉयन, ऐसे बदली थी ज़िन्दगी
बॉलीवुड के लॉयन कहे जाने वाले अजीत साहब आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उन्होंने कई ऐसी यादें दी हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जाएगा। उनके बेहतरीन डॉयलाग और अनोखी अदाकार दर्शकों के जेहन में सदियों तक जिंदा रहेंगी। बॉलीवुड में अजीत वो नाम है, जिसे लॉयन के नाम से जाना जाता था। वो उस दौर के अदाकार थे जब हीरो के साथ साथ विलेन को भी बराबर का दर्जा मिलता था। लेकिन जब अजीत ने बॉलीवुड में एंट्री किया तो खलनायकों का पूरा रूप ही बदल कर रख दिया। आज भी उनके कई ऐसे फैन हैं जो उन्हें कॉपी करने की कोशिश करते हैं। तो आज हम अजीत के जीवन के बारे में जो शायद आपको पता नहीं होंगी, उन बातों से रूबरू करवाएंगे।
बता दें कि अजीत का असली नाम हामिद अली खान था। मुंबई जिसे सपनों की नगरी कहा जाता है, अजीत भी अपना सपना पूरा करने घर से भागकर यहीं आए थे। मुंबई पहुंचकर जो बॉलीवुड के शिखर पर पहुँचे उनकी कहानी सचमुच प्रेरित करती हैं। अजीत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनके पास घर से मुंबई आने के लिए पैसे नहीं थे, उन्होंने अपनी किताबें बेचीं और उससे जो पैसे मिले उन पैसों से वो मुंबई आए थे
अजीत का असल संघर्ष अब शुरू होने वाला था। मुंबई पहुंच तो गए थे लेकिन उनके रहने और खाने का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने कई दिनों तक सीमेंट के पाइपों में रहकर अपना गुजारा किया। बता दें कि ये वो वक्त था जब लोकल एरिया के गुंडे उन पाइपों में रहा करते थे। और पाइपों में रहने वाले अन्य लोगों से वसूली करते थे।
अपने दिए एक इंटरव्यू में वो अपना एक कहानी शेयर करते हैँ। उन्होंने अपनी उस समय की एक कहानी बताई है जब वो मुंबई में सीमेंट से बनी पाईप में रहते थे। अजित बताते हैं कि पाईप में रहने के लिए गुंडे वसूली कर रहे थे। एक दिन लोकल गुंडो ने मुझसे भी पैसे वसूलना चाहा। लेकिन मैंने उन्हें पैसे देने से साफ मना कर दिया। फिर उस गुंडे ने मुझे खूब धोया, मारा पीटा। उसके अगले दिन से मैं खुद एक गुंडा बन गया। और फिर मुझे फ्री में खान मिलता था। और पाईप में रहने के पैसे भी नहीं देने पड़ते थे।
साल 1940 वो साल था जब उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया। अजित की पहचान बॉलीवुड में एक खलनायक के रूप में जरूर है। लेकिन शुरूआती दिनों में उन्होंने नायक यानी हीरो की भूमिका में भी कुछ फिल्में बनाए थे लेकिन उन्हें हीरो के रूप में पहचान नहीं मिली। इसके बाद वो अपने असली रूप में आए और विलेन की भूमिका निभानी शुरू की। अजीत को एक विलेन के रूप में दर्शकों से बहुत प्यार और समर्थन मिला।
खलनायक के रूप में वे इतने प्रतिष्ठित हो गए कि लोग आज भी उनके डॉयलाग दोहराने की कोशिश करते हैं। उनके कुछ लोकप्रिय डॉयलाग ‘मोना डार्लिंग’ ‘लिली डॉन्ट बी सिली’ और लॉयन हैं। अजीत का फिल्मी कैरियर बहुत ही लंबा है उन्होंने तकरीबन 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है। नया दौर, नास्तिक, मुगल-ए-आजम, मिलन जैसी फिल्में यादगार हैं। अजीत साहब ने 22 अक्टूबर 1998 को दुनिया छोड़कर चले गए।