चाइना मे इस तरह से फैला ‘कोरोना वायरस’ और पूरी दुनियां के लिए बना ख़तरा, अपने ही जाल में फंसा चीन
कोरोना वायरस फ़ैल रहा हैं. जानवरों से इंसानों में और फिर इंसानों से इंसानों में. क्या कोरोना वायरस चीन के बायोवेपन (Bio- weapon) प्रोग्राम जैविक हथियार प्रोग्राम का ही नतीजा हैं? क्या ये चीन के गैर-कानूनी सीफ़ूड (समुद्री खाने) मार्केट में पनपा खुदरत का एक ऐसा चाबुक हैं जो मानव जाति की चमड़ी पर मेल की तरह जमी प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने की आदत के चिथड़े उड़ा सकती हैं. क्या ये चीन की सबसे बड़ी भूल हैं जो उसे भारी पड़ने वाली हैं? क्या चीन खुद अपने ही खोदे गड्डे में गिरने वाला हैं? आज हम चीन के फेमस कोरोना वायरल से जुड़ी हर अफवाह का पर्दा फाश कर आपको इसकी असलियत से रुबरू कराएंगे.
मानव जाति पर कोरोना वायरल का ये कोई पहला हमला नहीं हैं. ऐसा अब तक दो बार पहले भी हो चूका हैं. तब ये एसएआरएस और एमईआरएस नाम के दो कोरोना वायरस थे. अब वुहान कोरोना वायरस सामने आया हैं. ये चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ हैं. यही वो शहर हैं जहाँ इस वायरस ने सबसे पहले इंसानों को शिकार बनाया था. यहीं सबसे पहले कोरोना वायरस से इंसान की जान गई थी. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के एक अधिकारी ने बताया कि ये वायरस एसएआरएस जितना खतरनाक तो नहीं हैं लेकिन ये बहुत तेजी से फैलता हैं.
डरने वाली बात ये हैं कि अभी तक वैज्ञानिको को इस वायरस का सोर्स पता नहीं चला हैं. इस बिमारी के संकेत भी अभी ज्यादा स्पष्ट नहीं हैं. कहा जा रहा हैं कि ये मरीज के छिकने खांसने से, ज्यादा करीब आने से या झूठे बर्तन इस्तेमाल करने से फ़ैल रहा हैं. फिर भी ये बात पूरी तरह नहीं पता कि ये किन किन रास्तों से फ़ैल सकता हैं. चिंता करने वाली बात ये है कि इस वायरस की वैक्सीन बनने में कई महीने और लग सकते हैं. ये बन भी जाए तो इसे पहले कुछ मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा. ऐसे में इस वायरस से बचने का एक मात्र तरीका है इसका फैलना रोका जाए. इसके लिए चीन ने वुहान सहित अपने 16 शहरों को लॉकडाउन कर दिया हैं. मतलब इन इन्फेक्टेड शहरों में ना तो कोई व्यक्ति अंदर जा सकता हैं और ना ही बाहर आ सकता हैं. ऐसे में वहां फंसे 3 से 4 करोड़ लोगो की जान खतरे में हैं. अब ऐसा बिना डेमोक्रेसी वाले देश चीन में ही हो सकता हैं.
हाल ही में द वाशिंगटन टाइम्स के एक स्पेशल रिपोर्टर ने सनसनीखेज खुलासा किया हैं. इजराईल मिलिट्री का हिस्सा रह चुके इस रिपोर्टर ने बताया कि चीन के वुहान शहर में सीफ़ूड के साथ साथ कुछ बड़ी बायोलॉजिकल रिसर्च लैब भी हैं. इजराईल के ख़ुफ़िया ऑफिसर की माने तो ‘वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी’ लैब चीन सरकार के लिए एक बायोलॉजिकल हथियार तैयार कर रही थी लेकिन वहां कुछ लापरवाही के चलते ऐसा हादसा हुआ जिससे ये कोरोनो वायरस पुरे चीन में फ़ैल गया. हालाँकि इसके दावे की द वाशिंगटन टाइम्स पुष्टि नहीं कर रहा हैं. लेकिन इस खुलासे को लेकर संदेह जरूर हैं.
पहला कोरोना वायरस 8 दिसंबर 2019 को रिलीज हो गया था लेकिन फिर भी वुहान हेल्थ कमीशन ने इस बारे में कोई भी एडवाइजरी जारी नहीं की और केस को दबाया गया. चीन सरकार चाहती तो लोगो को बिमारी फैलने के पहले ही आगाह कर देती लेकिन उन्होंने इस न्यूज़ को यहीं दबा दिया. 67 लोग इस वायरस के शिकार हो गए, इन मरीजों की देखभाल करने वाले कुछ लोग भी इसकी चपेट में आ गए लेकिन फिर भी 5 जनवरी तक चीन सरकार ने चुप्पी साध रखी थी. शायद चीनी सरकार इस खबर को इंटरनेशनल मीडिया से छिपाना चाहती थी इसलिए उन्होंने इस वायरस से पहली मौत हो जाने के बाद भी खबर छिपा के रखी. यहाँ तक कि इंटरनेट पर इस खबर की सेंसरशिप भी करी.
20 जनवरी तक जब चीजें हाथ से बाहर निकलने लगी तो ये खबर पूरी दुनियां में आग की तरह फ़ैल गई. तब तक 136 केस रिपोर्ट हुए थे. अब सवाल यही उठता हैं कि कोई भी सरकार अपने ही देश के नागरिको की जान खतरे में डाल ये बात क्यों छिपाएगा? इसे यही शक होता हैं कि चीन के वुहान शहर की लैब में जान बुझकर ये वायरस बायोवेपन के इरादे से बानाया गया था. कुछ लोग ये भी कह रहे थे कि चमगादड़ के सूप पिने से ये वायरस फैला हैं लेकिन WHO के डायरेक्टर का कहना हैं कि अभी तक इस वायरस के असली सोर्स का पता नहीं चला हैं. वैसे कुछ विशेषज्ञों की माने तो ये वायरस चीन के गैरकानूनी सीफ़ूड मार्केट के किसी जानवर से इंसानों में आया हैं.
बता दे कि कोरोना फैमिली के ही वायरस एसएआरएस का जन्म भी चीन के इन गैरकानूनी जानवरों के खाने से ही हुआ था. ऐसे में शक और भी गहरा होता हैं कि चीन की इन अजीब जानवरों को खाने की आदत ही इस वायरस के फैलने का रूट हो सकता हैं. इंसानों के शरीर में प्रवेश करने के बाद ये कोरोना वायरस अपने अंदर तेज़ी से बदलाव ला रहा हैं. इन बदलावों की वजह से वो ना सिर्फ इंसानों के शरीर में आसानी से प्रवेश कर पाएगा बल्कि ज्यादा दिन जी भी पाएगा.
अब ये वायरस चीन की बायोवेपन लैब से निकला हो या वहां के प्रतिबंधित जानवरों को खाने की वजह से, लेकिन एक बात तो साफ़ हैं कि यह वायरस खुद चीन के लिए बड़ा ख़तरा बन चूका हैं. ऐसे में चीन यदि बिना दुनियां की मदद लिए अकेले ही इस वायरस से लड़ता रहा तो शायद ये वायरस पूरी मानवजाति को अपनी चपेट में ले सकता हैं.
वैसे आपको क्या लगता हैं? क्या चीन अपने ही खोदे गड्डे में खुद गिर गया हैं.