कौन थे ‘दक्षिण भारत के अंबेडकर’ टीपू सुल्तान, जानिए टीपू सुल्तान का इतिहास
Tipu Sultan in hindi : टीपू सुल्तान एक शासक हुआ करते थे। जिन्होंने कई सालों तक मैसूर पर शासन किया था। इन्हें एक क्रूर शासक कहा जाता था। इतिहास के अनुसार टीपू सुल्तान सांप्रदायिक और हिंदू विरोधी हुआ करते थे और इनके द्वारा हिंदूओं पर कई सारे जुर्म किए गए थे। जिसकी वजह से इन्हें अच्छा शासक नहीं माना जाता है। इस लेख में हम आपको टीपू सुल्तान का इतिहास बताने जा रहे हैं। टीपू सुल्तान का इतिहास पढ़ने के बाद आपको इनसे जुड़ी तमाम जानकारी मिल जाएगी।
टीपू सुल्तान का इतिहास (Tipu Sultan in hindi)
टीपू को मैसूर के शेर के नाम से भी जाना जाता हैं। टीपू एक विद्वान, कुशल़ और योग्य सेनापति थे। उन्हें दक्षिण भारत का अंबेडकर के रूप में भी जाना जाता हैं क्योंकि उन्होंने अपने शासनकाल में दलितों को हो रहे अत्याचार से मुक्त कराया था। तो आइए जानते हैं टीपू सुल्तान का जीवन परिचय:
पूरा नाम | बादशाह नसीबुद्दौला सुल्तान मीर फतेह अली बहादुर साहब टीपू |
जन्म तिथि | 20 नवंबर 1750 |
माता का नाम | फातिमा फख्र-उन-निसा |
पिता का नाम | हैदर अली |
राज्याभिषेक | 29 दिसंबर 1782, मैसूर के राजा |
धर्म | इस्लाम |
टीपू सुल्तान का जन्म
टीपू सुल्तान (Tipu Sultan in hindi) का जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था। इनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सेनापति हुआ करते थे और इनकी मां का नाम फ़क़रुन्निसा था। हैदर अली कई लंबे समय तक मैसूर साम्राज्य के सेनापति रहे थे और बाद में अपनी ताकत के बल पर इन्होंने मैसूर राज्य के शासन को अपने हाथों में ले लिया था और इस राज्य के राजा बन गए थे। 32 साल की आयु में टिपू ने अपने पिता की गद्दी को संभाला था और साल 1782 में यह मैसूर के राजा बनें थे।
मैसूर के राजा बनने के बाद टिपू सुल्तान ने अपने राज्य के विकास और विस्तार के लिए बेहद ही अच्छे काम किए थे। इन्होंने अपने राज्य की महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल बना रखा था। हालांकि टीपू सांप्रदायिक हुआ करते थे और अपने धर्म को सबसे ऊपर माना करते थे। टीपू सुल्तान का इतिहास पढ़कर यह कहा जा सकता है कि इन्होंने हिंदूओं पर कई सारे अत्याचार किए थे। यह हिंदू धर्म के विरोधी के रूप में जाने जाते थे और इनके द्वारा हिंदूओं को उनका धर्म बदलने पर मजबूर भी किया गया था। टीपू सुल्तान बेशक की एक अच्छे शासक हुआ करते थे। लेकिन इनके मन में हिंदूओं के खिलाफ काफी नफरत भरी हुई थी और इसी नफरत के कारण इन्हें हिंदूओं पर कई सारे अत्याचार किए थे।
टीपू सुल्तान की तुलना औरंगजेब से
औरंगजेब को सबसे बुरे शासकों में गिना जाता है और टीपू सुल्तान (Tipu Sultan in hindi) की तुलना औरंगजेब से की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि टीपू दक्षिण भारत के औरंगजेब थे जिन्होंने हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया था। गौरतलब है कि औरंगजेब हिंदू धर्म के खिलाफ थे और इनके द्वारा उत्तर भारत में बनें कई सारे हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था। इतना ही नहीं इन्होंने हिंदू धर्म के लोगों पर खूब अत्याचार भी किया था। जिसके कारण औरंगजेब को सबसे बुरा राजा कहा जाता है।
टीपू सुल्तान और ब्रिटिश साम्राज्य
मैसूर का राजा बनते ही टीपू सुल्तान (Tipu Sultan in hindi) के सामने ब्रिटिश साम्राज्य से अपने राज्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी आ गई थी। टीपू किसी भी हालात में अपना राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन नहीं लाना चाहते थे और इसलिए इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य को जड़ से खत्म करने की खूब कोशिश की थी। हालांकि यह अपनी इन कोशिशओं में नाकाम ही रहे थे और चाहते हुए भी ब्रिटिश साम्राज्य से मैसूर को बचा नहीं सके थे। आइये जानते हैं मैसूर युद्ध के बारें में :
प्रथम मैसूर युद्ध
सन् 1766 में प्रथम मैसूर युद्ध हुआ था जो कि टीपू सुल्तान और उनके पिता हैदर अली ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा था। इस युद्ध में टीपू और उनके पिता हैदर अली अंग्रेजों को हराने में कामयाब हुए थे।
द्वितीय मैसूर युद्ध
प्रथम मैसूर युद्ध के बाद सन् 1780 में द्वितीय मैसूर युद्ध हुआ था और इस युद्ध के दौरान ही टीपू के पिता का निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद टीपू ने अकेले ही अंग्रेजों का सामना किया। यह युद्ध करीब चार सालों तक चला था और 11 मार्च 1784 को मैंगलोर की संधि पर हस्ताक्षर कर यह युद्ध समाप्त हुआ था।
तीसरा मैसूर युद्ध
तीसरा मैसूर युद्ध सन् 1790 में हुआ था जो कि 1792 तक चला था। इस युद्ध को टीपू सुल्तान ने फ्रांस के साथ मिलाकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा था। सन् 1792 में सेरिंगपटम की संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ था। इस संधि के अनुसार टीपू को अपने राज्य का आधा हिस्सा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके सहयोगियों को सौंपना पड़ा।
चौथा मैसूर युद्ध
चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध सन् 1798 में हुआ था और इस युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई थी। इस युद्ध में टीपू के 35,000 सैनिकों ने अंग्रेजों की 60,000 सैनिकों की फौज का सामना किया था। अंग्रेजों से अपने राज्य को बचाते हुए 4 मई सन् 1799 को टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई थी और उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस अपने राज्य की राजधानी श्रीरंगापट्नम में ली। टीपू की मृत्यु के साथ ही उनके सारे राज्य पर अंग्रेज़ों ने कब्ज कर लिया और उनका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और इस तरह से टीपू के साम्राज्य का अंत हो गया।
टीपू सुल्तान से जुडी अन्य जानकारी
- टीपू सुल्तान (Tipu Sultan in hindi) को मिसाइल मैन कहा जाता है। क्योंकि इनके द्वारा युद्ध के दौरान रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था।
- टीपू के रॉकेट को लंदन के मशहूर साइंस म्यूजियम में भी रखा गया है। इस रॉकेट को 18वीं सदी में अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया था और लंदन ले गए थे।
- जिस वक्त टीपू सुल्तान ने अपना पहला युद्ध लड़ा था उस समय इनकी आयु 18 वर्ष की थी।
- इतिहास के अनुसार टीपू ने लाखों हिंदूओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। जिसकी कारण इनकी गिनत बुरे शासकों में की जाती है।
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