CAA का समर्थन करने पर नीरज प्रजापति को गवानी पड़ी जान, पत्नी ने CM को पत्र लिख लगाई भावूक गुहार
रांची- देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू हो चुका है और इसके लागू होने के साथ ही एक विशेष वर्ग लगातार दंगे और अशांति फैलाने में लगा हुआ है। चाहे बात दिल्ली के शाहीनबाग की हो या लखनऊ से लेकर रांची तक कि, यह वर्ग सीएए की आड़ में अपने अंदर भरी भारत के प्रति नफरत को हर तरीकों से बाहर ला रहा है। जहां शाहीनबाग में करीब 1 महीने से प्रदर्शन जारी हैं तो वही इसकी आग देश के बाकी हिस्सों तक भी पहुँच चुकी है। ताज़ा मामला झारखण्ड के लोहरदगा का है, जहां बीते गुरुवार (जनवरी 23, 2020) को नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में आयोजित रैली पर मुस्लिमों ने हमला कर दिया। बता देें की यह रैली शांति पूर्ण तरीके से आयोजित की गई थी, जिसपर इस तरह का हमला किया गया।
दंगाइयों के हमले में हुई नीरज की मौत
CAA के समर्थन में निकले गए जुलसू पर हुई हिंसा में घायल नीरज राम प्रजापति की मौत हो गई। बता दें कि सीएए के समर्थन में निकाले गए तिरंगा यात्रा के दौरान कुछ दंगाइयों ने साजिश के तहत पत्थरबाजी की जिसमें में नीरज घायल हो गया था। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसका निधन हो गया। नीरज राम प्रजापति के निधन से लोगों में आक्रोश है। लोग राज्य सरकार से मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी व मुआवजा देने का आग्रह कर रहे हैं।
बता दें कि मृतक नीरज राम प्रजापति अपने पीछे बीमार माता-पिता और दो छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ गए हैं। लेकिन, हैरानी की बात तो ये है कि झारखण्ड सरकार पीड़ित परिवार को किसी भी प्रकार की सहायता देने से इंकार कर रही है। इसके अलावा, प्रशासन की ओर से परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है कि नीरज के परिजन मीडिया से कहे कि नीरज की मौत सीएए समर्थकों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा में नहीं बल्कि बाथरूम में गिरने से हुई है। सरकार और प्रशासन की ओर से इस तरह के दुर्वव्यवहार को कारण परिजन काफी असहाय महसूस कर रहे हैं।
मृतक की पत्नी ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार
कही से कोई मदद न मिलने और इस तरह के दबाव बनाए जाने से परेशान पीडित परिवार की ओर से मृतक की पत्नी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक भेजकर बेहद भावूक करने वाली गुहार लगाई है। हम आपको यह पत्र पढ़ने के लिए इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कि आप भी इस पत्र को पढ़कर परिवार की दुःखद स्थिति को समझ सके। इस पूरी घटना को ठीक से समझने के लिए यह पत्र पढ़ना जरुरी है। यह पत्र सरकार की नाकामी और मुस्लिम समुदाय की इस निंदनीय अपराध को उजागर करता है।
पढ़िए मृतक की पत्नी का यह पत्र:
सेवा में,
मुख्यमंत्री, झारखण्ड
प्रतिलिपि: उपयुक्त, लोहरदगा एवं एसपी, लोहरदगा
दिनांक: जनवरी 28, 2020 (मंगलवार)
महाशय,
विषय: नीरज राम प्रजापति की हत्या के मुआवजे के सम्बन्ध में
सविनय निवेदन है कि मैं दिव्या कुमारी स्वर्गीय नीरज राम प्रजापति की पत्नी हूँ। 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में लोहरदगा में जो शोभा यात्रा निकाली गई, उसमें मेरे पति भी सम्मिलित हुए थे। शोभा यात्रा शांति से आगे बढ़ रही थी लेकिन बीच में शरारती तत्वों ने पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला कर दिया। लोगों में भगदड़ मच गई और मेरे पति भी जान बचा कर किसी तरह वहाँ से भागे।
दंगाइयों ने मेरे पति को दौड़ा कर उनके सिर पर रॉड से वार किया। इसके बाद वो किसी तरह भागते हुए घर पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने मुझे सारी बातें बताईं। इसके बाद वो अचानक से बेहोश हो गए। मैं उन्हें लेकर आनन-फानन में लोहरदगा सदर अस्पताल पहुँची , जहाँ से उन्हें राँची रेफर कर दिया गया। तत्पश्चात मैंने इन्हें राँची स्थित ऑर्किड अस्पताल में भर्ती कराया। रुपए के अभाव के कारण मैं उन्हें फिर राँची स्थित रिम्स में लेकर आई।
मैं अपने घर में अकेली हूँ और मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे (एक बेटी और एक बेटा) हैं। अब मेरे घर में हमारा देख-रेख करने की स्थिति में कोई भी नहीं है। अतः, मेरा आपसे निवेदन है कि मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपए और परिवार के भरण-पोषण के लिए किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। कृपया मेरी माँगों पर ध्यान देने की कृपा करें।
आपकी विश्वासी
दिव्या कुमारी
शायद आप भी इस पत्र को पढ़कर समझ गए होंगे की किस तरह एक पीड़ित परिवार को सरकार और एक अशांति प्रिय समुदाय की वजह से परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। इस पत्र को पढ़कर जेहन में एक ही बात आती है कि क्या दिवंगत नीरज राम प्रजापति को इंसाफ मिलेगा, क्या पत्नी दिव्या कुमारी की इस गुहार पर सीएम सोरेन या उनके किसी मंत्री द्वारा ध्यान दिया जाएगा? बता दें कि परिजन रांची के रिम्स में अभी भी सरकार की तरफ से किसी के आने और उनका दुःख बांटने की आस में बैठे हैं। बता दें की चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन लालू यादव का आशीर्वाद लेने के लिए रिम्स गए थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय की हिंसा का शिकार होने वाले इस परिवार से मिलने के लिए उनके पास समय होगा या नहीं, यह एक प्रश्नवाचक बात है?