आखिर क्यों सोते वक्त उत्तर दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए सिर, जानिए पौराणिक और वैज्ञानिक आधार!
आपके घर में आपकी दादी, नानी, माँ या किसी और ने आपको उत्तर कि तरफ सिर करके सोने से जरूर मना किया होगा. कई बार आप जब लेटे होंगे और आपका सिर उत्तर दिशा में रहा होगा तो किसी बड़े बुजुर्ग ने आपको डांटते हुए कहा होगा कि सीधा होकर सोओ. क्या आप जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया?
हिन्दू धर्म कि एक मान्यता के अनुसार उत्तर दिशा में सिर रखकर नहीं सोना चाहिए, ऐसा करने से अपशकुन होता है. इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है. दरअसल हिन्दू धर्म में इन्सान कि मृत्यु के बाद उसका शव जलाते समय शव का सिर उत्तर दिशा में रखा जाता है और पैर दक्षिण दिशा में रखा जाता है.
साथ ही कुछ मान्यताओं के अनुसार केवल मृत व्यक्ति के पांव ही दक्षिण दिशा में होने चाहिए. साथ ही इसके पीछे एक तर्क यह भी है कि मरते समय उत्तर की ओर सिर करके उतारने कि रीति भी इसी नियम के कारण है, ऐसा माना जाता है कि भूमि बिजली को जल्दी खींच लेती है और प्राण आसानी से निकल जाते हैं.
इसके पीछे भी है एक वैज्ञानिक आधार :
इस तरह से भारतीय परम्परा के पीछे चाहे जितनी ही भ्रांतियां क्यों न बताई जायें हर परम्परा का एक वैज्ञानिक आधार जरुर होता है, ठीक उसी तराह इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक आधार है, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वातावरण में चुम्बकत्व होता है और धरती के दोनों छोर चुम्बकीय शक्ति से एक दूसरे को खींच रहे हैं. ये चुम्बकत्व भी दक्षिण से उत्तर दिशा कि तरफ प्रवाहित होता है. जब हम दक्षिण दिशा में सिर करके सोते हैं तो उर्जा हमारे सिर से प्रवेश करके पैरों से निकल जाती है. इसके कारण हमारी पाचन शक्ति ठीक तरह से काम करती है. भोजन आसानी से पच जाता है.
उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोने से पड़ता है ये प्रभाव :
कई शोधों में यह भी बताया गया है कि चुम्बकों से हमारे शरीर के ऊतकों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसलिए उत्तर दिशा की तरफ सिर करके सोने से होने वाले चुम्बकत्व का हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसीलिए उत्तर दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए.
इसके पीछे सबसे बड़ा वैज्ञानिक आधार यह भी है कि हमारे पैरों से ऋणात्मक और सिर से धनात्मक उर्जा प्रवाहित होती है. ऐसे में उत्तर कि तरफ सिर करके सोने से धनात्मक से धनात्मक तरंगों का टकराव होगा जो विपरीत और नकारात्मक प्रभाव डालेंगी फलस्वरूप मन और मस्तिष्क बेचैन हो जायेगा. नींद प्रभावित होगी, आलस्य बढेगा और जीवन अशांत होगा.