अबकी बार आम आदमी को मिलेगी बड़ी राहत, इस वजह से बजट में टैक्स दरें घटा सकती है सरकार
मुंबई: केंद्र की मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट पेश करने वाली है। यह बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। अब ये बात तो जाहिर ही है कि आगामी बजट धीमी अर्थव्यवस्था और बढ़ती मुद्रास्फीति के दौरान पेश किया जा रहा है। यह बजट ऐसे समय में पेश होने जा रहा है जिसमें भारत की आर्थिक वृद्धि को चालू वित्त वर्ष के लिए 5 प्रतिशत से दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5 प्रतिशत तक कर दिया गया है। और जब सरकार ने दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद जताई है। ऐसे में इस बजट से सभी को काफी उम्मीदें हैं। क्योंकि, इस वक्त सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को पटरी पर लाना है। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस परंपरा को बदल दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट की कॉपी लाल सूटकेस की जगह लाल रंग के कपड़े में लिपटी हुई थी, जिसकी परंपरा कई साल पुरानी है।
हालांकि, सरकार ने बिगड़ी हुई विकास दर पर तुरंत कार्रवाई की है और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने के साथ-साथ अन्य उपायों को लागू करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का काम किया है। 1 फरवरी को आते हैं, सभी की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर होंगी, जो अपना दूसरा बजट ऐसे समय में पेश करेंगी, जब सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में सबसे बडा सवाल यही है कि क्या आगामी बजट में सरकार आम आदमी को बड़ी राहत देगी? ऐसे माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार पर्सनल इनकम टैक्स की दरों को घटा सकती है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के मुताबिक, इनकम टैक्स में कटौती होने पर कुछ खास तरह की कंपनियों को फायदा होगा। इसलिए सरकार ऐसा कदम अर्थव्यवस्था को मजबुत करने के लिए उठा सकती है। सीएलएसए के मुताबिक, ”सरकार खपत बढ़ाना चाहती है। इसलिए ऐसी उम्मीद है कि वह पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में कटौती करे।
सीएलएसए ने इस बार इनकम टैक्स कलेक्शन में 20 फीसदी यानी एक लाख करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान लगाया है। लेकिन, ज्यादा टैक्स कम्प्लायंस और नए करदाताओं के जुड़ने से सालाना आधार पर वास्तविक गिरावट 5 फीसदी रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 3.4 फीसदी की सीमा में रखा जा सकता है। आपको बता दें कि पर्सनल इनकम टैक्स में अगर कटौती हुई तो इससे कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी और शहरी उपभोक्ताओं पर फोकस करने वाली मारुति, टाइटन, एशियन पेंट्स, यूनाइटेड स्प्रिट्स, जूबिलेंट फूडवर्क्स और हैवेल्स जैसी कंपनियों को फायदा होगा।
इसके अतिरिक्त अगर 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म कर देती है तो इससे शेयर बाजार में तेजी आयेगी। इसके अलावा, अगर सरकार ग्रामीण इलाकों में खर्च बढ़ाना चाहती है तो इससे हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोलगेट-पामोलिव इंडिया और डाबर जैसी कंपनियों को अधिक फायदा होने की उम्मीद है।