नोटबंदीः सफल रहा पीएम मोदी का ऐतिहासिक फैसला! इन आंकड़ो से उड़ जाएंगे विरोधियों के होश!
नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से पूरे देश में आज भी एक ही सवाल है कि इससे देश को क्या लाभ हुआ। कालेधन पर कितना लगाम लगा और क्या अब देश में कालाधन समाप्त हो गया है। कुछ लोग लगातार दावे कर रहे हैं कि नोटबंदी के कारण देश कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आयी है और देश विकास के मामले में पिछड़ गया। आज हम आपको ऐसे ही सभी सवालों के जवाब देने के लिए कुछ आकड़े लेकर आये हैं जो विरोधियों और नोटबंदी की आलोचना करने वालो कि बोलती बंद कर देंगे। GDP growth in demonetization period.
नोटबंदी से नहीं पड़ा जीडीपी पर असर, 7 फीसदी रही ग्रोथ –
#FLASH GDP growth was at 7% in the #DeMonetisation period (Oct-Dec) pic.twitter.com/a7c8kQWd3C
— ANI (@ANI_news) February 28, 2017
भारत सरकार ने कल यानि मंगलवार 28 फरवरी को चालू वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी की विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि पहले के अनुमान के बराबर है। जिससे साफ हो जाता है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का ज्यादा असर नहीं हुआ है और विकास दर पहले कि ही तरह बरकरार है। हालांकि नोटबंदी से कोई नुकसान नहीं हुआ है और भविष्य में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे, जिसके बारे में कई अर्थशास्त्रीय भी कह चुके हैं। इन आकड़ो से यह बात साफ हो गई है कि नोटबंदी का विकास दर पर उतना असर नहीं पड़ा, जितना की सरकार के विरोधियों द्वारा कहा जा रहा था। हां लेकिन इसके जबरदस्त फायदे निकट भविष्य में जरुर देखने को मिलेंगे।
अर्थशास्त्रियों ने की थी विकास दर घटने की भविष्यवाणी –
People projected negative impact of #DeMonetisation on GDP, but its not so we maintained growth at 7%: Eco Affairs Secy Shaktikanta Das pic.twitter.com/b2FuwhGkhx
— ANI (@ANI_news) February 28, 2017
गौरतलब है कि बीते 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। इसके बाद देश भर में नकदी की किल्लत के कारण कई अर्थशास्त्रियों ने विकास दर घटने की भविष्यवाणी की थी। लेकिन केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन-सीएसओ के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी में विकास दर 7.1 फीसदी रहेगी। आपको बता दें कि सीएसओ हर साल जीडीपी से संबंधित आंकड़े फरवरी के पहले सप्ताह में पेश करता रहा है, लेकिन क्योंकि इस साल आम बजट समय से पहले 1 फरवरी को ही पेश हो गया था इसलिए सीएसओ को ये आंकड़े भी एक महीने पहले जारी करना पड़े। क्योंकि विधानसभा चुनाव जारी हैं इसलिए सीएसओ ने ये आंकड़े चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद जारी किए हैं।