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‘500 रुपए का लालच, ब्रेनवॉशिग और सड़कों पर गुंडई’, ये है शाहीन बाग के प्रदर्शनों की सच्चाई

नई दिल्ली – दिल्ली का शाहीन बाग इलाका कई दिनों से सुर्खियों में है। इससे पहले की हम यहां करीब 1 महीने से चल रहे जोरदार विरोध प्रदर्शनों की सच्चाई पर रोशनी डाले आपको बता दें कि शाहीन बाग दक्षिणी दिल्ली का एक इलाका है और यह दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाली रोड पर स्थित है। यह इलाका मुस्लिम बाहूल्य माना जाता है। अब बात करते हैं यहां करीब 37 दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों की। जब से नागरिकता संशोधन एक्ट लागू हुआ है और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने की बात उठी है तभी से इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। लेकिन, दिल्ली के शाहीन बाग में जिस तरह से प्रदर्शन हो रहे हैं उसे देखकर कहा जा सकता है यह बाकी जगहों से अलग है या अधिक कड़ा प्रदर्शन है। गौरतलब है कि CAA, NRC के खिलाफ शाहीन बाग का प्रदर्शन पिछले 37 दिनों से जारी है। CAA, NRC के खिलाफ ये प्रदर्शन 15 दिसंबर को शुरू हुआ था।

ऐसे में जब इस कानून को लेकर को पूरी तरह से ज्ञान या जानकारी नहीं है, इतने लंबे समय तक इस प्रदर्शन के जारी रहना और लगातार रात-रात भर ठिठूरती ठंड में दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में महिलाओं के अपने बच्चों के साथ नागरिकता कानून के खिलाफ धरने पर बैठना कही न कहीं कुछ गड़बड़ होने का संकेत देता है। ऐसे में कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी उठने लगे हैं कि शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन के पीछे आखिर कौन है? कौन नागरिकता संशोधन कानून-2019 को लेकर लोगों को भड़का रहा है? नागरिकता छीनने के बजाय देने वाले इस कानून को लेकर कौन है जो लोगों को भ्रमित कर रहा है? ये ऐसे सवाल हैं जो उन लोगों के मन में उठने लाजमी हैं जो इस कानून को समझ चूके हैं और इसका समर्थन करते हैं।

हमने इस पूरे मामले की पड़ताल की और हमारे हाथ कुछ ऐसे सबूत लगे जो इस विरोध प्रदर्शन की वास्तविकता से पर्दा उठाते हैं। दरअसल, यह एक सोची-समझी और गहरी साजिश है। क्योंकि, दिल्ली में चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है, इसलिए ऐसे प्रदर्शन केन्द्र में काबिज और दिल्ली में आप पार्टी को कड़ी टक्कर देने वाली बीजेपी पर निशाना साधने का एक हथियार हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे सबूत सामने आए हैं, जो इस विरोध प्रदर्शन की असल सच्चाई सामने लाते हैं। तो आइये आपको बताते हैं, वो सबूत कौन-कौन से हैं, जिनकी वजह से इस प्रदर्शन पर सवाल उठाना जायज लगता है।

पहला सबूत

शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजक हर तरीके से देश के बाकी हिस्सों के लोगों की सहानूभूति पाना चाहते हैं, इसलिए शायद यह पहली बार हो रहा है जब ठिठूरती ठंड में CAA, NRC के विरोध में छोटी-छोटी बच्चियों और महिलाओं का सहारा लिया जा रहा है। इस बाबत एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक लड़की कह रही है, “हमें कपड़े नहीं पहनने दिये जाएंगे। हमें डिटेन्शन कैंप्स में केवल एक बार खाना दिया जाएगा।” यह वीडियो इस बात को साफ करता है कि छोटे-छोटे बच्चों को डिटेन्शन कैंप्स के अफवाह से भ्रमित किया जा रहा है। देखिए –
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दूसरा सबूत

इस विरोध प्रदर्शन की सच्चाई सामने लाने वाला एक दूसरा वीडियो भी है, जिसमें छोटी-छोटी बच्चियों से देशद्रोही नारे लगवाया जा रहा है। अब ये एक बच्चे को क्या मालूम की देश विरोधी नारे क्या हैं। जिससे ये बात साफ होती है कि यह एक साजिश ही है। देखिए, ये वीडियो –

 

दरअसल, इस पूरे प्रदर्शन की वजह प्रदर्शनकारियों का ब्रेनवॉश करना और उन्हें इस बात का डर दिखाना की CAA, NRC अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। मुसलमानों को इस बात से डराया जा रहा है कि उनकी नागरिकता छीन ली जायेगी। लेकिन, शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन की वजह सिर्फ इतनी ही नहीं है। इन प्रदर्शनों का एक और उद्देश्य मुसलमानों का विश्वास जीतना। गौर करने वाली बात ये है कि शाहीन बाग में ये विरोध प्रदर्शन दिल्ली विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हो रहे हैं और आम आदमी पार्टी इन प्रदर्शनों को अपना समर्थन दे रही है। इससे पहले भी जामिया पर हुई ‘पुलिस कार्रवाई’ के विरोध में आगजनी भड़काने में आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान का नाम सामने आ चुका है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि जामिया नगर शाहीन बाग के पास में ही है। अब इस दौड़ में कांग्रेस कैसे पीछे रहे। मुस्लिमों की बात हो तो ये पार्टी पहले ही सामने आती है। शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को बढ़ावा देने के लिए शशि थरूर, संदीप दीक्षित, सुभाष चोपड़ा जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता वहां जा चुके हैं।

तीसरा सबूत

रिपब्लिक के ट्वीट के अनुसार, इन प्रदर्शनों के एक आयोजक ने तो इस बात को स्वीकार किया है कि प्रदर्शनों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खिंचना और समर्थन प्राप्त करना है, देखिए –

चौथा सबूत

दरअसल, शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन केवल सीएए के विरुद्ध ही नहीं बल्कि यह सांप्रदायिकता को भड़काने की साजिश है। प्रदर्शनों को जिस तरह से मीडिया का कवरेज मिल रहा है वह वाकई में शक पैदा करता है। इतनी लाईमलाइट दे रही है। अभी बीते रविवार को दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में कुछ कश्मीरी पंडित भी पहुंचे और ‘कश्मीरी पंडितों को न्याय दो’ जैसे नारे लगाए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और कश्मीरी पंडितों के बीच हिंसक झड़प हो गई। जिससे इस शांति प्रिय प्रदर्शन की पोल खुल गई। देखिए –

दरअसल, शाहीन बाग में जारी यह विरोध प्रदर्शन गुंडागर्दी, सांप्रदायिकरण और ब्रेनवॉशिंग की वो तगड़ी खिचड़ी है, जिसमें कई सारे राजनीतिक लाभ और फायदे का मसाला पड़ा हुआ है। चाहे तो लोग इसे एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन कह सकते हैं, लेकिन सच्चाई तो यही है कि यह एक षड्यंत्र है और इसका शिकार बेचारे छोटे-छोटे बच्चे और महिलाएं बन रही हैं।

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