पुलेला गोपीचंद ने दीपिका पादुकोण के पिता पर लगाया गंभीर आरोप, कहा-साइना नेहवाल को उन्होंने…
वैसे तो पुलेला गोपीचंद अपनी फीलिंग्स को कभी भी लोगों के सामने नहीं दर्शाते हैं पर कोच ने अपने उस दर्द को अपनी किताब में शेयर किया जो उनको साइना नेहवाल के उनकी एकेडमी को छोड़कर प्रकाश पादुकोण की अकडेमी में जाने के बाद महसूस हुआ था और उन्हें आजतक इस बात का अफ़सोस है और आजतक उन्हें ये बात परेशान करती है. गोपीचंद ने अपनी आने वाली बुक ‘ड्रीम्स ऑफ ए बिलियन : इंडिया एंड द ओलंपिक गेम्स’ में भी इस बारे में लिखा है. गोपीचंद को इस बात की भी बहुत हैरानी थी कि महान प्लेयर और इंडिया के फर्स्ट बैडमिंटन सुपरस्टार पादुकोण ने कभी भी उनके बारे में कोई भी पॉजिटिव बात नहीं की है…
पूर्व आल इंग्लैंड चैम्पियन और राष्ट्रीय मुख्य कोच गोपीचंद ने अपनी किताब में अपने बहुत मुश्किल वक़्त का भी जिक्र किया. गोपीचंद ने बुक के बिटर राइवलरी’ टाइटल के पेज पर इस बात का खुलासा किया कि जिस समय साइना नेहवाल ने साल 2014 वर्ल्ड चैम्पियनशिप के बाद बेंगलुरू में पादुकोण की अकडेमी से जुड़ने और विमल कुमार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया था तो वह कितने ज़्यादा दुखी हुए थे. साइना के हस्बैंड और राष्ट्रमंडल खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट पारूपल्ली कश्यप ने भी इस बात की पुष्टि की है….
इस बुक में उनके को -राइटर खेल इतिहासकार बोरिया मजूमदार और सीनियर पत्रकार नलिन मेहता भी हैं. इस किताब में गोपीचंद ने इस बात का भी खुलासा किया उन्होंने लिखा “यह घटना ऐसी थी जैसे मेरे किसी बहुत ख़ास को मुझसे बहुत अधिक दूर कर दिया गया हो. पहले मैंने साइना को अकेडमी छोड़कर जाने से बहुत रोका पर उसके ऊपर मेरी किसी बात का असर नहीं हुआ क्योकि तब तक वह किसी दूसरे की बातों के असर में आ चुकी थी और अकेडमी छोड़कर जाने का मन बना चुकी थी. जबकि मैं उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे रोककर उसकी प्रगति के रास्ते में बाधा नहीं बनना चाहता था, मुझे यह बात अच्छे से पता थी की साइना या हम में से किसी के लिये भी बेहतर नहीं होता।”…
उस वक़्त लोगों के बीच ऐसी बातें भी चल रही थी की साइना का ऐसा सोचना था की गोपीचंद अपना पूरा ध्यान साइना की जगह पीवी सिंधू पर लगा रहे थे. गोपीचंद ने लिखा है “हां, ये बात पूरी तरह से सच है की मेरी अकेडमी में सिखाने के लिए दूसरे और भी बहुत सारे खिलाड़ी थे और सिंधू ने 2012 और 2014 के दौरान बहुत तरक्की कर ली थी. पर मैंने कभी भी साइना को अनदेखा नहीं किया और न ही कभी उसे अनदेखा करना चाहता था. शायद उस वक़्त यह बात मैं साइना को सही तरीके से नहीं समझा पाया था. इसलिए उसने मेरी अकेडमी को छोड़कर पादुकोण की अकेडमी को ज्वाइन कर लिया था. इस बात का मुझे आज तक अफ़सोस है की मैं साइना को अकेडमी को छोड़कर जाने से नहीं रोक पाया था ” …