अमर होने के लिए करवाया गया था ‘अंकोरवाट मंदिर’ का निर्माण, जानें इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
अंकोरवाट मंदिर भगवान विष्णु जी का मंदिर है जो कि क्रॉन्ग सिएम रीप, कंबोडिया में स्थित है। ये एक प्रचानी मंदिर है और इसे 1181-1205 ई. के दौरान बनाया गया था। ये मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक स्मारक है। अंकोरवाट मंदिर मीकांग नदी के किनारे स्थित है और दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। 162.6 हेक्टेयर यानी 2 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ ये मंदिर खमेर साम्राज्य के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय द्वारा बनाया गया है। दुनिया भर से लोग कंबोडिया इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर को बेहद ही अनोखे तरीके से बनाया गया है और ये मंदिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक माना जाता है।
क्यों कहा जाता है अंकोरवाट मंदिर
दरअसल कंबोडिया में खमेर साम्राज्य का शासन हुआ करता था और इस राज्य की भाषा खमेर हुआ करती थी। इस साम्राज्य की राजधआनी अंकोर थी और राज्य की राजधानी पर ही इस मंदिर का नाम अंकोरवाट मंदिर रखा गया है। खमेर साम्राज्य बहुत बड़ा साम्राज्य था और 9वीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी तक ये राज्य काफी ताकतवर राज्य माना जाता था। राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने अपने राज्य की राजधानी यानी अंकोर में विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया और ये मंदिर अंकोरवाट नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज के समय में अंकोरवाट मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है और कम्बोडिया का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
वास्तुकला
- अंकोरवाट मंदिर की वास्तुकला बेहद ही सुंदर तरह से की गई है। इस मंदिर के देवालय के चारों ओर एक गहरी खाई है। जो कि ढाई मील लंबी है और 650 फुट चौड़ाई है। इस मंदिर की दीवारों पर बेहद ही सुंदर नक्काशी की गई है और मंदिर के चारों और बाउंड्री दी गई है।
- बाउंड्री के बाहर खाई है और 36 फ़ुट चौड़ा पुल है। इस पुल पर अब पक्की सड़क बना दी गई है और इस पुल के माध्यम से मंदिर तक पहुंचा जाता है।
- ये मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है और तीन भागों में है। हर भाग में 8 गुम्बज हैं।
- मंदिर के सबसे आखिरी वाले भाग तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां का प्रयोग करना पड़ता है और ये खण्ड एक चौड़ी छत पर है। जिसका शिखर 213 फुट उंचा है।
- इस मंदिर के शिलाचित्रों में रामकथा लिखी गई है। अंकोरवाट मंदिर में कई सारे गलियारों भी बनाए गए हैं और इन गलियारों में समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, महाभारत, बलि-वामन, स्वर्ग-नरक, हरिवंश पुराण और इत्यादि पौराणिक कथाओं की शिलाचित्र की गई है।
- मंदिर के परिसर में कई सारी भव्य मूर्ति रखी गई हैं जो कि पत्थरों को काट कर बनाई गई हैं।
- इस मंदिर के अंदर विष्णु भगवान की बेहद ही सुंदर मूर्ति रखी गई है।
- इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा से है। जबकि हिंदू धर्म के तीर्थों और मंदिरों का प्रवेश द्वार हमेशा पूर्व दिशा में ही होते हैं।
अंकोरवाट मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी –
- इस मंदिर के अलावा अंकोर में 1000 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर भी हैं। जिनमें से कई मन्दिरों का पुनर्निर्माण किया गया है।
- अंकोरवाट मंदिर और अंकोरवाट क्षेत्र को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
- अंकोरवाट मंदिर का निर्माण का कार्य राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा शुरू करवाया गया था। लेकिन बीच में ही इनकी मौत हो गई थी। जिसके बाद इस मंदिर का पूरा निर्माण कार्य उनके उत्तराधिकारी धरणीन्द्रवर्मन के शासनकाल में पूरा हुआ था।
- ये एक हिंदू मंदिर है और इस मंदिर की देखभाल की जिम्मेदारी साल 1986 से भारत सरकार द्वारा उठाई गई थी। साल 1993 तक भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस मंदिर के संरक्षण का कार्य किया था।
- कंबोडिया देश में फ्रांस का शासन हुआ करता था। वहीं फ्रांस से आजादी मिलने के बाद इस देश ने अपने राष्ट्र ध्वज में इस मंदिर को जगह दी और इस देश के ध्वज में 1983 में इस मंदिर की फोटों लगाई गई।
- पहले ये मंदिर दुनिया में इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ करता था और इस जगह पर ज्यादा पर्यटक नहीं आया करते थे। लेकिन अब ये मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध हो गया है। इस देश में आने वाले अधिकतर पर्यटक अंकोरवाट मंदिर जरूर जाया करते हैं।
- शाम के समय इस मंदिर का नजारा बेहद ही सुंदर होता है और सूर्यास्त के समय इस मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है।
- ये मंदिर इतना भव्य है कि इस मंदिर की तर्ज पर ही अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की मांग की जा रही है।
क्यों करवाया मंदिर का निर्माण
ऐसा माना जाता है कि राजा सूर्यवर्मन अमर होना चाहते थे और अमर होने के लिए उन्हें इस मंदिर को बनवाया था। इस मंदिर के अंदर एक विशिष्ट पूजा स्थल हुआ करता था। जहां पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की पूजा की जाती थी। वहीं ये भी मान्यता है कि स्वयं देवराज इन्द्र ने अपने बेटे के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
कैसे पहुंचे
- भारत के कई शहरों से कंबोडिया देश के लिए फ्लाइट मिलती हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु से रोज इस देश में फ्लाइट जाती है। ये फ्लाइट फनोम पेन्ह इंटरनेशनल एयरपोर्ट और सीएम रेअप इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जाती है। इन एयरपोर्ट से अंगकोरवाट तक जाने के लिए बस या कैब आसानी से मिल जाएगी।
- कंबोडिया देश जाने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती है। इस देश का वीजा ऑन अराइवल पर भी मिल जाता है। इसके अलावा इस देश के लिए आप ई वीजा भी ले सकते हैं।
कहां रुके
इस मंदिर के पास ही कई सारे होटल हैं, जहां पर आपको रहने के लिए आसानी से कमर मिल जाएगा। अंकोरवाट मंदिर बेहद ही भव्य और सुंदर मंदिर है। इसलिए आप अपने जीवन में एक बार जरूर इस मंदिर में जाएं।
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