मकर संक्रांति के दिन करें इन मंत्रों का जाप, हो जाएंगे सारे दुःख दूर
मकर संक्रांति भारत के कुछ प्रमुख त्यौहारों में से एक है। मुख्य रूप से हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला ये त्यौहार मकर संक्रांति काफी विशेष है। यह त्यौहार हर वर्ष जनवरी माह के मध्य में ही पड़ता है। मकर संक्रांति इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी दिन से सूर्य का उत्तरायण भी प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति अलग अलग जगहों के अनुसार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।
कहा जाता है कि सूर्य पुराण और व्रत शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति स्नान, दान पुण्य का त्यौहार है। लेकिन इसके साथ ही यह जीवन में परिवर्तन लाने का भी त्यौहार है। मकर संक्रांति के दिन हमें पंचशक्ति साधना करने का अवसर मिलता है। जो पूरे वर्ष इच्छानुसार फल प्रदान करता है। इस दिन बहुत से देवी देवताओं को पूजा जाता है। जैसे गणेश, लक्ष्मी, विष्णु, शिव और सूर्य को संयुक्त रूप से पूजा करते हैं। इसका वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में भी है। तो आइये जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन क्या करने से मनोवांछित फल प्राप्त होगा।
इस दिन ब्रह्म मुहुर्त में ही स्नान कर लें। और किसी शुद्ध स्थान पर कुशासन पर बैठ जावें। इसके बाद पीले वस्त्र का एक आसन बिछा कर सवा किलो चावल और उड़द की दाल का मिश्रण कर समान पांच ढेरी लगा दें। फिर अपने दाहिने ओर से पंचशक्तियों की मूर्ति चित्र या यंत्र को ढेरी के ऊपर स्थापित कर उसमें धूप दीप जला लें।
इसके बाद मन शांत करके एक एक शक्ति का स्मरण करें। और पंचोपकार विधि से पूजन करें। इसमें चंदन, नैवेद्य, अक्षत, पुष्प, फल अर्पित करें। इसके बाद एक हवन भी करें। इस हवन के लिए आम की लकड़ी का प्रयोग करें। आम की लकड़ी को हवन कुंड में प्रज्जवलित कर 108 शक्ति मंत्र की आहूति करें। इसके बाद एक और माला का जाप करें।
वेद और पुराणों की मानें तो गायत्री मंंत्र का प्रयोग सर्वाधिक फलित है। किसी भी देवी देवता की साधना में उस शक्ति के गायत्री मंत्र का प्रयोग सबसे अधिक फलित है। इसलिए कहा जाता है कि पंचशक्ति की साधना अगर करें तो गायत्री मंत्र का ही प्रयोग करें ।
इन मंत्रो का जाप करें-
श्री गणेश गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्!
श्री शिव गायत्री मंत्र- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात!
श्री विष्णु गायत्री मंत्र- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात!
महालक्ष्मी गायत्री मंत्र- ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात!
सूर्य गायत्री मंत्र- ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात!
इसके बाद पंचशक्तियों की आरती करें। इसके तुरंत बाद पुष्पाजंलि भी अर्पित करें अर्थात फूल चढ़ाएं। इसके बाद एक सुपात्र को तिल के लड्डू, फल, मिठाई, खिचड़ी, वस्त्र दान करें। इससे पुण्य मिलेगा और आपको मनोवांछित मिलेगा। दान हमेशा अपनी शक्ति से करनी चाहिए। लेकिन कहा जाता है कि दान में 14 वस्तुएं हों तो शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति में स्नान का विशेष महत्व है। अगर आपको गंगा सागर में स्नान का मौका मिलता है तो इससे शुभ और कुछ नहीं होगा। लेकिन किसी नदी, सागर, तालाब में भी स्नान करने से पुण्य मिलता है। कहा जाता है कि जीवन में नकारात्मकता का दमन और सकारात्मकता का संचार होता है।