जानें क्यों मकर संक्रांति के दिन किया जाता है तिल और गुड़ का सेवन
मकर संक्रांति के पर्व को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में ये पर्व मंकर संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है। जबकि गुजरात में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में ये पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
गुजरात में इस पर्व के दौरान पंतग उड़ाई जाती है और तिल-गुड़ के लड्डू और खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। उत्तर भारत में इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके तिल-गुड़ का दान किया जाता है और इन्हें खाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में ये पर्व पांच दिनों के लिए मनाया जाता है और इस दौरान घर की सफाई की जाती है और बेल की पूजा की जाती है।
मकर संक्राांति के दिन तिल व गुड़ के पकवान बनाकर खाने की परंपरा है और इस दिन तिल और गुड़ खाना शुभ माना जाता है। इसलिए इस पर्व के दौरान लोग तिल व गुड़ के लड्डू बनाते हैं। तिल और गुड़ के अलावा मकर संक्राति के पर्व में खिचड़ी भी बनाकर खाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन इन चीजों को खाने का बेहद ही महत्व माना गया है।
तिल और गुड़ खाने का महत्व
मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ क्यों खाया जाता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दरअसल इस पर्व के दौरान मौसम ठंडा होता है और तिल और गुड़ का सेवन करने से शरीर अंदर से गर्म रहता है। जिसके कारण इस पर्व के दौरान गुड़ और तिल खाए जाते हैं। तिल और गुड़ खाने के अलावा इस दिन इनका दान करना भी शुभ माना जाता है।
खिचड़ी खाने का महत्व
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का भी महत्व है। इस दिन खिचड़ी खाने से एक कथा भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों ने खिलजी का मुकाबला किया था। लेकिन युद्ध करने के कारण नाथ योगियों के पास खाना बनाने के लिए समय नहीं था और खाना ना मिलने के कारण ये कमजोर होते जा रहे थे। नाथ योगियों की समस्या का हल निकालता हुए बाबा गोरखनाथ ने इन्हें दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। इस खाने को खाकर इनके शरीर में ऊर्जी वापस से आ गई। इस पकवान को बाबा गोरखनाथ ने खिचड़ी का नाम दिया। आपको बता दें कि बाबा गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार कहा जाता है।
इस तरह से मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
मकर संक्रांति का पर्व सूरज से जुड़ा हुआ है और इस पर्व के दौरान सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दी जाती है। उसके बाद तिल और गुड़ का दान किया जाता है। इन चीजों का दान करने के बाद खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। कई लोग इस दिन पतंग भी उड़ाते हैं। इस साल मंकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबह के सात बजे के बाद शुरू हो जाएगा। इसलिए आप सात बजे के बाद ही स्नान करें।