23 साल की नेत्रहीन लड़की ने पहले प्रयास में ही क्रेक कर ली ओड़िशा सिविल सर्विस एग्जाम
जीवन में कुछ भी असंभव नहीं हैं. इस कहावत को सच साबित करने की हिम्मत बहुत कम लोगो में ही होती हैं. आज हम आपको एक ऐसी नेत्रहीन लड़की की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ आपके अंदर प्रेरणा का भाव जरूर जाग्रत होगा. आँखें शरीर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. ये यदि ख़राब हो जाए तो आपको जीवन में कितनी तकलीफे आती हैं इस बात का अंदाजा आप लगा ही सकते हैं. हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इन कमियों को बहाना बनाकर बैठते नहीं हैं बल्कि जीवन में आगे बढ़ सफलता का स्वाद चखते रहते हैं.
23 साल की तपस्विनी दास भी एक ऐसी लड़की हैं जो आँखों से देख नहीं सकती हैं. हालाँकि इसके बावजूद तपस्विनी ने ओड़िशा सिविल सर्विस एग्जाम 2018 पहले प्रयास में ही क्लियर कर ली. बता दे कि तपस्विनी जनरल केटेगरी की हैं और 6 जनवरी को जारी हुए रिजल्ट में उन्होंने 161वीं रैंक हासिल की हैं. एक जनरल केटेगरी की नेत्रहीन लड़की के लिए पहले प्रयास में ही इस तरह की परीक्षा निकाल लेना सच में काबिलेतारीफ हैं. इस बात की जानकारी ट्विटर पर सुलोचना दास ने दी. सुलोचना खुद विकलांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त ( State Commissioner for Persons with Disabilities) हैं.
Congratulations to Tapaswini Das of Bhubaneswar who has cleared the Odisha Civil Service Examination 2018 despite being visually impaired. She would become the first visually challenged lady OAS officer of Odisha. pic.twitter.com/SKo2Hu6JRL
— Sulochana Das (@SulochanaDas1) January 7, 2020
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “जिन लोगो के पास आँखें हैं वे किताबें से पढ़ सकते हैं लेकिन मुझे इन किताबों की रिकॉर्डिंग पर निर्भर रहना पड़ता था. मैं पहले किताबें पढ़ती थी और फिर उन्हें ऑडियो फार्मेट में कन्वर्ट कर देती थी. मैंने अपनी लाइफ की चुनौतियों से कभी हार नहीं मानी. इसलिए मैंने खुद से कहा कि चलो ये भी ट्राई करते हैं.”
तपस्विनी के पिता ने इस बारे में कहा कि “तपस्विनी जब दूसरी कक्षा में थी तब एक असफल सर्जरी के चलते उसकी दोनों आँखें चली गई थी. तब मेरा दिल टूट सा गया था. वो हमेशा क्लास में टॉप किया करती थी. इसके बाद मैंने उसे नेत्रहीन विशेष स्कूल में दाखिल किया. यहाँ उसने अपनी मैट्रिक परीक्षा बहुत अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण की. इसके लिए उसने Braille script (नेत्रहीन लोगो की लिपि) का सहारा लिया था. इसके बाद आर्ट स्ट्रीम में हायर सेकेंडरी एग्जाम भी बहुत अच्छे नंबर से पास की. अपने ग्रेजुएशन में भी उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. अपने पुरे करियर के दौरान वो एक अच्छी स्टूडेंट रही.
उधर सोशल मीडिया पर जब लोगो को इस खबर के बारे में पता चला तो सभी तपस्विनी को बधाईयाँ देने लगे. लोगो ने तपस्विनी का शुक्रिया ये बोल अदा किया कि वे हम सभी लोगो के लिए प्रेरणा बनी हैं. वर्तमान में तपस्विनी भुबनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से पोलिटिकल साइंस में मास्टर कर रही हैं. भविष्य में वे UPSC परीक्षा क्रेक करना चाहती हैं.
Inspiration ????
— subhrajit jena (@ps_jena) January 8, 2020
Hartiest Congratulations to Tapaswini Das mam..?
— Biplab Lenka (@BiplabL) January 7, 2020
Best wishes to you and your family ?
— Mukesh??Kumar??polai (@Mukesh_k_polai) January 8, 2020
Great achievement and a role model for many such differently able persons.
— Dr.Shrikant (@shrikant_dr) January 8, 2020
बता दे कि तपस्विनी के अलावा और भी कई महिलाएं हैं जो नेत्रहीन होने के बावजूद अपने क्षेत्र में सफल रही हैं. मसलन केरला की 31 वर्षीय प्रांजलि पाटिल भारत की पहली नेत्रहीन महिला IAS ऑफिसर हैं. वे केरला के थिरुवनंतपुरम की सब-कलेक्टर भी हैं. इसके साथ ही 25 साल की ज्योत्श्ना फनिजा भारत की सबसे यंग ऐसी नेत्रहीन महिला हैं जिसने इंग्लिश लिटरेचर से पीएचडी कम्प्लीट की हैं.