15 जनवरी को है पोंगल, जानें इस पर्व को मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा और विधि
पोंगल दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को तमिलनाडु में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल किसानों का त्योहार माना जाता है और इस दिन फसल की पूजा की जाती है। ये त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 15 जनवरी से शुरू हो रहा। जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति और लोहड़ी का त्योहारों मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इन त्योहारों को ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नहीं पोंगल के पर्व के साथ ही तमिल नववर्ष की भी शुरुआत हो जाती है।
क्यों मनाया जाता है पोंगल का त्योहार
पोंगल का त्योहार लोहड़ी की तरह ही होता है। बस इन दोनों त्योहारों को मनाने का तरीका अलग है। जिस तरह से लोहड़ी के दिन लोग फसल की पूजा करते हैं उसी तरह से पोंगल पर्व भी फसल से जुड़ा हुआ पर्व है। पोंगल का पर्व धान की फसल काटने के बाद मनाया जाता है। इस त्योहार के जरिए दक्षिण भारत के लोग अपनी खुशी प्रकट करते हैं और भगवान से आगामी फसल अच्छी हो इसकी प्रार्थना करते हैं। इस पर्व के दौरान बारिश, धूप, सूर्य, इन्द्र देव और खेतिहर मवेशियों की पूजा की जाती है। क्योंकि इन सभी की वजह से ही अच्छी फसल की प्राप्ति होती है।
पोंगल 4 दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व के प्रथम दिन घर की सफाई की जाती है और कूड़ा-करकट जमा कर उसे जला दिया जाता है। अगले दिन मां लक्ष्मी का पूजा किया जाता है और मां लक्ष्मी से सुखी जीवन की कामना की जाती है। तीसरे दिन पशुधन विशेषकर बैल और गाय की पूजा की जाती है। वहीं चौथे दिन काली पूजा होती है।
जरूर बनाई जाती है रोंगली
दिवाली की तरह ही पोंगल पर्व के दौरान घर को अच्छे से सजाया जाता है और घर की रंगाई-पुताई की जाती है। इसके अलावा इस पर्व के दौरान रंगोली भी जरूर बनाई जाती है और नए कपड़े और बर्तन खरीदे जाते हैं। पोंगल पर्व में पशुओं की पूजा की जाती है और बैलों और गायों के सींगों को रंगा जाता है।
पोंगल के दिन खीर जरूर बनाई जाती है और इस खीर को सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। जबकि कई लोग सूर्य देव की पूजा करते समय उन्हें चावल, दूध, घी, शकर का भोग लगाते हैं।
पोंगल माने से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने बैल वसव को धरती पर जाकर एक संदेश देने को कहा। शिव जी ने वसव से कहा कि वो धरती पर जाकर लोगों से कहा कि वो रोज स्नान करें और नहाने से पहले तेल जरूर लगाएं। लेकिन वसव द्वारा ये संदेश उल्टा दिया गया। जिससे शिव जी बेहद ही नाराज हो गए और गुस्से में शिव जी ने वसव को धरती पर सदा के लिए भेज दिया और उसे आदेश दिया की वो फसल उगाने में लोगों की सहायता करें। इसलिए पोंगल के दिन लोग अपनी बैल की पूजा करते हैं और बैल पर तेल लाकर उसको अच्छे से सजाते हैं। बैल के अलावा इस दिन गाय की भी पूजा जरूर की जाती है।