आईएस के चुंगल से छूटे डॉक्टर ने पीएम मोदी को कहा शुक्रिया सुनाई आपबीती!
लीबिया में एक डॉक्टर समेत 6 भारतीयों को आतंकी संगठन आइएसआइएस ने बंधक बनाया था. 18 महीने पहले लीबिया में आतंकी संगठन आईएस द्वारा अगवा किए गए भारतीय डॉक्टर राममूर्ति कोसानाम ने उनके चुंगल से रिहा होने के बाद अपनी आपबीती सुनाई है.
ऑपरेशन थिअटर में ले जाकर जबरदस्ती सर्जरी करने के लिए मजबूर किया गया :
डॉक्टर राममूर्ति के सुरक्षित वापस लाए जाने की जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर दी थी. डॉक्टर राममूर्ति ने बताया है कि आईएस के लोग उन्हें डॉक्टर होने की वजह से अपने साथ ले गए. आतंकियों की पकड़ से छूटे डॉक्टर राममूर्ति ने बताया कि 10 दिन के भीतर उन्हें 3 बार गोली मारी गई. ऑपरेशन थिअटर में ले जाकर जबरदस्ती सर्जरी करने के लिए मजबूर किया गया. उन्हें जबरन वजू करना और नमाज पढ़ना सिखाया. हिंसक विडियोज दिखाए गए, जिन्हें देख पाना उनके लिए बहुत मुश्किल था. उन्होंने बताया है कि उन्हें सिर्फ डॉक्टर होने की वजह से जिंदा रखा गया.
राममूर्ति ने कहा कि एक दिन आईएसआईएस उनके कमरे में आए और उनसे कहा कि वह बाहर आएं. इसके बाद वह उन्हें सिरते की सेंट्रल जेल में ले गए जहां दो अन्य भारतीय बंद थे. इतना ही नहीं आईएसआईएस के आतंकी उन्हें जबरन वो वीडियो दिखाते थे जो उन्होंने सीरिया, नाईजीरिया और अन्य देशों में किया है. उन वीडियो को देखने में बहुत मुश्किल होती थी.
डॉ. राममूर्ति ने बताया कि वो हमें इस्लाम की शिक्षा देते और बताते कैसे दिन में पांच बार नमाज अता करते हैं. कुछ समय बाद किसी कारण से वो हमें एक अन्य जेल में ले गए जो अंडरग्राउंड थी. एक महीने बाद फिर हमारी जगह बदली गई. वहां हम कुछ लोगों से मिले जो तुर्की, कोरिया और दूसरे देशों के थे. इस दौरान आईएस के लोग हमें इस्लाम के बारे में बताते रहे. जब लीबिया के सेना ने युद्ध की घोषणा की तो हर तरफ बमबारी हो रही थी जिसके चलते वो कैदियों की जगह बदलते रहते थे.
मीडिया से बात करते हुए डॉक्टर ने पीएम मोदी, NSA और बाकी सभी उन मंत्रालायों का शुक्रिया किया जिनकी मदद से वह वापस आ पाए. उन्होंने कहा कि वह अपने ऊपर बीती बातों को कभी नहीं भूल पाएंगे. उन्होंने बताया कि आतंकियों ने कई बार उनसे सर्जरी और ऑपरेशन करवाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया. आपको बता दें डॉ राममूर्ति कोसानाम को करीब 18 महीने पहले लीबिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था. वह आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के एक गांव के रहने वाले हैं.