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काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हैं यह चौंकाने वाले रहस्य, जो शायद ही आपको पता होंगे
काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। विश्वनाथ मंदिर को बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वाराणसी में स्थित विश्वनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और यह मंदिर शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर पूजा और शिवलिंग के दर्शन करने से सारे पाप माफ हो जाते हैं और शिव भगवान की कृपा बन जाती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार काशी नगरी भगवान शिव को बेहद ही पसंद थी और इस जगह पर शिव जी ने तपस्या भी की थी। काशी विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishwanath) का जिक्र महाभारत ग्रंथ में भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर की मरम्मत 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाई थी।
राजा हरीशचन्द्र के अलावा सम्राट विक्रमादित्य ने भी इस मंदिर की मरम्मत करवाई थी। वहीं 1194 में मुहम्मद गौरी ने इस मंदिर को तुड़वा दिया था। जिसके बाद फिर से इस मंदिर को बनवाया गया था। हालाकिं सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने फिर से इस मंदिर को पूरी तरह से तोड़ दिया था। मंदिर के तोड़े जाने के बाद सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की मदद से पंडित नारायण भट्ट ने फिर से यह मंदिर बनावया था।
औरंगजेब द्वारा फिर तोड़ा गया यह मंदिर
- इतिहास के अनुसार सन् 1632 में शाहजहां द्वारा विश्वनाथ मंदिर को फिर से तोड़ने का आदेश दिया गया था। लेकिन विरोध के कारण शाहजहां के सिपाही इस मंदिर को तोड़ने में असफल रहे थे। हालांकि शाहजहां के सिपाहियों ने काशी में मौजूद अन्य 63 मंदिरों को तोड़ दिया था।
- 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब के आदेश का पालन करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishwanath) को तोड़ दिया गया था। साथ में ही काशी में रहने वाले पंड़ितों का धर्म बदलवाने की कोशिश भी की गई थी।
फिर से बनाया गया विश्वनाथ मंदिर
इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर की मरम्मत करवाई गई थी। कहा जाता है कि महारानी अहिल्यावाई ने 1777-80 में इस मंदिर की मरम्मत करवाई थी। उस समय पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर में सोने का छत्र बनवाया, ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और नेपाल के महाराजा ने विशाल नंदी की प्रतिमा स्थापित की थी।
काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
यह मंदिर उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। हिन्दू धर्म में विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का बहुत ही महत्व माना गया हैं। इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। जानते हैं इस मंदिर की कुछ और रोचक जानकारियां –
शिव जी के त्रिशुल पर बसी है काशी
ऐसी मान्यता है कि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशुल के नोक पर बसी हुई है। काशी को बेहद ही पवित्र नगरी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर जिन लोगों की मृत्यु होती है उन लोगों को स्वर्ग की प्राप्ति होती और उन्हें मोक्ष मिलता है।
यहां दिया था प्रवचन
भगवान बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद काशी में आकर अपना प्रथम प्रवचन दिया था। जिसकी वजह से काशी जैनियों का पवित्र स्थल भी माना जाता है। भगवान बुद्ध के अलावा कबीर, तुलसीदास जी, शंकराचार्य और गुरु नानक जी भी इस जगह से जुड़े हुए थे। इतिहास के अनुसार काशी में ही तुलसी दास जी ने रामचरित मानस की रचना की थी। जबकि कबीर कई सालों तक इस जगह पर रहे थे।
केवल होता है कच्चे दूध का प्रयोग
काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव जी को baba vishwanath के नाम से जाना जाता है और भक्तों द्वारा यहां आकर बाबा विश्वनाथ को दूध से स्नान करवाया जाता है। बाबा विश्वनाथ का स्नान करवाने के लिए केवल कच्चे दूध का ही प्रयोग किया जाता है। जिसकी वजह से पैकेट वाले दूध का प्रयोग शिवलिंग के अभिषेक के दौरान नहीं किया जाता है।
कहा जाता है राजराजेश्वर भी
बाबा विश्वनाथ को काशी का गुरु और राजा भी कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि वो दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं और रात के नौ बजे के बाद बाबा का श्रृंगार कर उन्हें राजा का वेश दिया जाता है। जिसके चलते इन्हें राजराजेश्वर कहा जाता है।
हो जाती है हर मन्नत पूरी
काशी विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishwanath) आकर हर कामना पूरी हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद जो भक्त बाबा विश्वनाथ मंदिर के शीर्ष यानी सुनहरी छत्त को देखते हैं उनकी हर कामना पूरी हो जाती है। इसलिए आप जब भी इस मंदिर में जाए तो बाबा के दर्शन करने के बाद मंदिर की सुनहरी छत को जरूर देखें।
पश्चिम मुखी होती हैं
विश्वनाथ मंदिर में कई सारे देवी – देवताओं की प्रतिमा रखी गई हैं। इन प्रतिमा को श्रृंगार के समय पश्चिम की और कर दिया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान शिव जी के साथ ही शक्ति भी विराजमान है।
कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर
वैसे तो इस मंदिर में पहुँचना बेहद आसान हैं। अगर आप पहली बार इस मंदिर में दर्शन करने जा रहें हैं तो हम आपको बताते हैं कि इस मंदिर तक आप रेल, हवाई और सड़क मार्ग से कैसे पहुँच सकते हैं।
हवाई जहाज
लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट विश्वनाथ मंदिर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट के लिए चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु आदि शहारों से उड़ाने उपलब्ध है।
ट्रेन मार्ग
वाराणसी जंक्शन और मुगलसराय जंक्शन काशी विश्वनाथ मंदिर के सबसे पास वाले रेलवे स्टेशन हैं। इसलिए जो लोग ट्रेन मार्ग के जरिए काशी जाना चाहते हैं वो इन दोनों रेलवे स्टेशन तक के लिए रेल लें। वहीं रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आपको आसानी से काशी जाने के लिए बस या गाड़ी मिल जाएगी.
सड़क मार्ग
वाराणसी कई प्रमुख राजमार्ग मार्गों से जुड़ा हुआ है और वाराणसी आसानी से सड़क मार्ग के जरिए भी पहुंचा जा सकता है।
कहां रुकें
काशी विश्वनाथ मंदिर (baba vishwanath) के पास ही कई सारी धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं जहां पर आप रुक सकते हैं। बाबा विश्वनाथ मंदिर (baba vishwanath) में शिवरात्रि और सोमवार के दिन काफी भीड़ होती है। इसलिए इस दौरान अगर आप इस मंदिर में जाएं तो पहले से अपने लिए कमरा बुक करवा लें।
जानें का सही समय
काशी विश्वनाथ मंदिर (baba vishwanath) जानें का सबसे सही समय सिंतबर से अप्रैल तक का है। क्योंकि मई से अगस्त तक उत्तर प्रदेश राज्य में बेहद ही गर्मी होती है। इसलिए गर्मी के दौरान आप इस जगह जानें से बचें।
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